बिहार :– दौरे पर गए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक बरार फिर बिहार चुनाव में सीएम कैंडिडेट को लेकर सस्पेंस क्रिएट कर दिया है। उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए यह तो कहा कि चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, लेकिन जीत के बाद एनडीए का सीएम फेस कौन होगा यह स्पष्ट नहीं किया।
जाहिर है बीजेपी मौजूदा हालातों में कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहती, इसलिए वह अभी ठीक वैसे ही जैसे नपे-तुले कदम उठा रही जैसे उसने सीएम फेस पर महाराष्ट्र चुनाव में उठाए थे। जिस तरह महाराष्ट्र में बीजेपी ने पूरे चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को नेता बनाए रखा कुछ उसी प्रकार बिहार में चुनाव लड़ने के मूड में दिख रही है।
महाराष्ट्र चुनाव प्रचार के दौरान क्या बोले फडणवीस
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान एक बार एक स्टेज पर देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे एक साथ बैठे हुए थे। पत्रकारों ने फडणवीस से पूछा कि चुनाव परिणाम आने के बाद सीएम कौन बनेगा, तो इस पर फडणवीस ने एकनाथ शिंदे की ओर इशारा करके कहा था हमारे सीएम तो यहीं हैं।
पर परिणाम आने के बाद ऐसा हुआ नहीं। एकनाथ शिंदे अपना रोना लेकर रोते रहे पर पार्टी को कोई असर नहीं पड़ा। अंत में एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम बनने को तैयार हो गए. आज की तारीख में बीजेपी बिहार में शायद इसी रणनीति पर काम कर रही है। चुनाव परिणाम आने के बाद नीतीश कुमार डिप्टी सीएम नहीं बनेंगे, पर हो सकता है कि नीतीश कुमार के पुत्र निशांत कुमार को डिप्टी सीएम बनाया जाए।
आम आदमी पार्टी की रणनीति पर बीजेपी का फोकस
दिल्ली चुनाव में जिस तरह एंटी इंकमबेसी वाले वोट पूरी तरह भारतीय जनता पार्टी में जाने से रोकने के लिए आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने का बड़ा कदम उठाया था, ठीक उसी तरह भाजपा बिहार चुनाव में सरकार से नाराज वोटर को पूरी तरह आरजेडी की ओर जाने से रोकने के लिए फोकस कर रही है। इसके तहत जहां वह प्रशांत किशोर को ज्यादा भाव नहीं दे रही, वहीं नीतीश के सीएम फेस को लेकर भी खामोशी बनाए हुई है। इससे वह अपने कार्यकर्ताओं का जोश बरकरार रखने के साथ ही सरकार विरोधी बोटर को भी साथ सकेगी।
JDU नहीं करेगी बर्दाश्त
बिहार विधानसभा चुनावों में एनडीए की सफलता का आधार सीएम कैंडिडेट पर निर्भर होगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू को यह कतई बर्दाश्त नहीं होगा कि सीएम कैंडिडेट किसी और को बनाए जाए। जाहिर है कि यह स्थिति उनके लिए बहुत शर्मिंदगी वाली होगी और ऐसा होना बीजेपी के लिए भी खतरे से खाली नहीं है।
अमित शाह ने कुछ महीने पहले इस बात से फैला दी थी सनसनी
गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ महीने पहले यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि नीतीश कुमार के सीएम कैंडिडेट होने को लेकर फैसला दोनों ही पार्टियों की बैठक में बाद में किया जाएगा, लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा। उन्होंने बापू सभागार में सहकारिता विभाग के एक कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से कहा कि 2025 में बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनाइये और भारत सरकार को बिहार के विकास का एक और मौका दीजिए।
आपको जनाकारी के लिए बताते चलें कि गृह मंत्री शाह ने यह भी कहा कि बिहार को बदलने में भीतीश कुमार की अहम भूमिका रही है। इसका सीधा अर्थ है कि नीतीश को किनारे लगाने के बारे में नहीं सोचा जा रहा है। दूसरे शब्दों में नीतीश के नाम पर कोई विवाद नहीं है। पर पीएम मोदी और सीएम नीतीश दोनों का नाम लेना और खुलकर यह न कहना कि चुनाव जीतने पर नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनेगी, इससे लोगों में संदेह बरकरार रह गया है।