मुरली कृष्णन
भारत के कई राज्यों में ‘डबल म्यूटेंट’ के तौर पर कोरोना वायरस का नया रूप देखने में आ रहा है जिसने भारत में इस वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर का खौफ पैदा कर दिया है और माना जा रहा है कि वायरस का यह रूप पहले वाले से कहीं ज्यादा खतरनाक है.
देश भर में कोरोना वायरस के तेजी से हो रहे प्रसार के बीच कम से कम 18 राज्यों में वायरस के कई और वेरिएंट्स का भी पता चला है. इंडियन सार्स-सीओवी-2 कंसोर्टियम ऑन जेनोमिक्स, डबल म्यूटेंट वेरिएंट के ताजा नमूनों का अध्ययन (जीनोमिक सीक्वेंसिंग) कर रहा है. इंडियन सार्स-सीओवी-2 कंसोर्टियम ऑन जेनोमिक्स स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत बनाई गई 10 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का समूह है जो देश में अलग-अलग हिस्सों से आए नमूनों की जीनोमिक सीक्वेंसिंग का पता लगाता है.
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र यानी एनसीडीसी के निदेशक सुजीत कुमार सिंह ने पिछले हफ्ते मीडिया को बताया कि भारत में अब तक इस वेरिएंट के 771 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें सबसे पहले 736 मामले यूके वेरिएंट का पता चले और 34 मामलों में एक वेरियंट दक्षिण अफ्रीका और एक ब्राजील का है.
क्या है डबल म्यूटेंट वेरिएंट?
अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र से लिए गए नमूनों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि दिसंबर 2020 से अब तक ई484क्यू और एल452आर म्यूटेशन्स में बढ़ोत्तरी देखी गई है.अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पूर्व अधीक्षक एमसी मिश्र ने डीडब्ल्यू को बताया, “डबल म्यूटेशन यानी दोहरा उत्परिवर्तन तब होता है जब एक वायरस की दो उत्परिवर्तित वेरिएंट्स साथ मिलकर एक तीसरा वेरिएंट बनाती हैं. भारत में जो डबल म्यूटेंट दिख रहा है वह E484Q और एल452आर से मिलकर बना है.”
विशेषज्ञों का कहना है कि एल452आर वेरिएंट सबसे पहले अमेरिका में मिला था जबकि ई484क्यू वेरिएंट स्वदेशी है. एमसी मिश्र कहते हैं, “यह डबल म्यूटेंट कोविड मामलों में तेज बढ़ोत्तरी की एक बड़ी वजह हो सकता है लेकिन इसके लिए हमें अभी और परीक्षण करने होंगे और उनके परिणाम का इंतजार करना होगा.”