जगदलपुर:- विश्व विख्यात बस्तर दशहरा इस वर्ष 24 जुलाई से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक चलेगा। यह अनूठा पर्व आदिवासी संस्कृति, श्रद्धा और परंपरा का अद्भुत संगम है, जो 75 दिनों तक चलने वाला देश का सबसे लंबा दशहरा उत्सव है। हर साल की तरह इस बार भी देश-विदेश से हजारों पर्यटक इस पर्व को देखने बस्तर पहुंचेंगे। पर्व की शुरुआत 24 जुलाई को दंतेश्वरी मंदिर में पाट जात्रा पूजा के साथ होगी, जिसमें पवित्र लकड़ी (टुरलू खोटला) को मंदिर परिसर में लाकर पूजा की जाएगी। इस लकड़ी से रथ निर्माण के लिए औजार बनाए जाते हैं, जिसके बाद रथ निर्माण की प्रक्रिया शुरू होती है।
रियासत काल से चली आ रही परंपरा-
दंतेश्वरी मंदिर के प्रधान पुजारी के अनुसार, बस्तर दशहरा की परंपरा रियासत काल से चली आ रही है। मान्यता है कि जब पुरुषोत्तम देव जगन्नाथ पुरी से रथपति की उपाधि लेकर बस्तर लौटे थे, तभी से इस अनूठे दशहरे की शुरुआत हुई। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि बस्तर की आदिवासी संस्कृति और सामुदायिक एकता को भी दर्शाता है। पाट जात्रा पूजा के बाद जंगल से लकड़ियां लाने का कार्य शुरू होता है, जो रथ निर्माण का आधार बनता है।
बस्तर दशहरे के प्रमुख धार्मिक आयोजन-
29 अगस्त- बेल जात्रा विधान
5 सितंबर- डेरी गढ़ाई पूना विधान
21 सितंबर- काछनगादी पूजा
22 सितंबर- कलश स्थापना पूजा
23 सितंबर- जोगी बिठाई पूना
24 सितंबर- नवरात्र पूजा विधान
29 सितंबर- फूल रथ परिक्रमा
30 सितंबर- निशा जात्रा पूना विधान
1 अक्टूबर- जोगी उठाई एवं मावली परघाव पूजा विधान
2 अक्टूबर- भीतर रैनी पूजा विधान
3 अक्टूबर- बाहर रैनी पूजा विधान
5 अक्टूबर- काछन जात्रा पूजा विधान एवं मुरिया दरबार
6 अक्टूबर- कुटुंब जात्रा पूजा विधान
7 अक्टूबर- डोली की विदाई के साथ दशहरा का समापन
बस्तर दशहरा, एक सांस्कृतिक धरोहर-
बस्तर दशहरा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इस दौरान रथ यात्राएं, परंपरागत नृत्य, और सामुदायिक समारोह आयोजित किए जाते हैं, जो बस्तर की अनूठी पहचान को दर्शाते हैं। मुरिया दरबार और फूल रथ परिक्रमा जैसे आयोजन स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं।
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र-
हर साल बस्तर दशहरा देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह पर्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासी जीवनशैली को करीब से जानने का अवसर भी प्रदान करता है। प्रशासन ने इस बार भी पर्यटकों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं।