
महंगाई की एक और मार! खाद्य तेलों के बाद अब नहाने के साबुन में गर्मी का दौर आने वाला है। साबुन उत्पादन में प्रमुख घटक पामोलिन में रोज तेजी आ रही है।इसके असर से नहाने के लिए जरूरी साबुन की खरीदी पर 8 से 15 प्रतिशत ज्यादा पैसे देने होंगे।
पामोलिन और मलेशिया। यह दोनों विश्व में न केवल मजबूत पहुंच बना चुके हैं बल्कि दुनिया के खाद्य तेल के बाजार को नियंत्रित करने का भी काम करने लगे हैं। कमजोर फसल के बाद विश्व की मांग पूरा करने को लेकर मलेशिया ने लगभग हाथ खड़े कर दिए हैं। इसके बाद तेजी से बदलते हालात ने सबसे पहला असर डाला खाद्य तेलों पर, जिसमें आ रही तेजी ने अब उपभोक्ताओं को परेशानी में तो डाला ही है साथ ही पहले से भी कमजोर हो चुकी क्रय शक्ति को और भी कमजोर करने का काम किया है क्योंकि अब साबुन की नई कीमत चौंका सकती है।

इसलिए नहाना महंगा
साबुन बनाने में महत्वपूर्ण घटक पामोलिन की फसल मलेशिया में विपरीत मौसम और प्रतिकूल हालात की चपेट में आ चुकी है। इसके अलावा पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों से परिवहन भी महंगा हो चला है। इसका असर पामोलिन की कीमत पर पड़ चुका है। इसका सीधा असर साबुन उत्पादन लागत पर पड़ रहा है। पामोलिन की फसल के लिए इंडोनेशिया भी तेजी से विश्व में अपनी पहचान बना रहा है लेकिन यहां भी मलेशिया जैसे ही हालात हैं।

उच्चतम स्तर पर पामोलिन
पाम ऑयल की कीमत पर नजर डालें तो यह जानकारी सामने आ रही है कि बीते 9 साल में देश में यह 1820 रुपए टीन के साथ अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। कोरोना महामारी के बाद हैंड वॉश की विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह के बाद साबुन का उपयोग भी बढ़ा है। इसके असर से उत्पादन की गति भी बनाए रखनी पड़ रही है। अब चूंकि ग्रीष्म ऋतु ने दस्तक दे दी है इसलिए साबुन में सीजन की मांग भी निकलने लगी है।
तैयारी के संकेत
इंडोनेशिया और मलेशिया से आयातित पामोलिन में तेजी के बाद साबुन निर्माण कंपनियों ने कीमतों में वृद्धि की तैयारी चालू कर दी है। जैसे संकेत मिल रहे हैं उसे देखते हुए मानकर चला जा रहा है कि अप्रैल के प्रथम पखवाड़े में नई कीमत बाजार में पहुंच बना सकती है। जैसी खबर मिल रही है उसके मुताबिक यह बढ़त 8 से 15 प्रतिशत तक हो सकती है।