मध्यप्रदेश:– स्ट्रेचिंग करना बॉडी के लिए जरूरी होता है. इससे हमारी मसल्स खुलती हैं, जिससे फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है. नतीजतन, मांसपेशियों में दर्द और अकड़न जैसी समस्याएं कम होती हैं. यही कारण है कि ज्यादातर एक्सरसाइज इंस्ट्रक्टर यह सलाह देते हैं कि आप नियमित रूप से स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें.
लेकिन क्या स्ट्रेचिंग से नसों को नुकसान पहुंच सकता है? यह सवाल आपके मन में भी कभी आया है? अगर सही तरह से स्ट्रेचिंग न की जाए तो इससे कई नुकसान हो सकते हैं और आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने वाले हैं.
क्या ओवर स्ट्रेचिंग करने से नर्व पर असर पड़ सकता है?
स्ट्रेचिंग के फायदे
मसल्स की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है
ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है
मांसपेशियों में जकड़न और दर्द कम होता है
चोट लगने का खतरा कम होता है
पॉश्चर सुधरता है और मूवमेंट स्मूद होता है.
ओवर-स्ट्रेचिंग के नुकसान
जब आप जरूरत से ज्यादा या गलत तरीके से स्ट्रेच करते हैं, तो कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं.
मसल्स में टियर या खिंचाव: अत्यधिक स्ट्रेचिंग से मांसपेशियों के फाइबर फट सकते हैं, जिससे दर्द, सूजन और मूवमेंट में रुकावट हो सकती है.
लिगामेंट या टेंडन डैमेज: स्ट्रेचिंग केवल मसल्स तक सीमित नहीं रहती. कभी-कभी लिगामेंट्स जो हड्डियों को जोड़ते हैं और टेंडन्स जो मसल्स को हड्डियों से जोड़ते है पर भी ज़ोर पड़ता है.
नर्व डैमेज: ओवर-स्ट्रेचिंग से नसों पर भी असर पड़ सकता है. यह कम आम जरूर है, लेकिन गंभीर हो सकता है.
कैसे होता है नर्व डैमेज?
हमारी नसें एक खास सीमा तक खिंचाव सह सकती हैं.
जब आप अत्यधिक या गलत तरीके से स्ट्रेच करते हैं, तो नसों पर दबाव या खिंचाव पड़ सकता है.
इससे न्यूरोपैथिक पेन, झनझनाहट, सुन्नपन, या कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
सुरक्षित स्ट्रेचिंग के लिए टिप्स
वार्म-अप ज़रूरी है – स्ट्रेचिंग से पहले हल्का वॉर्म-अप करें जैसे 5-10 मिनट वॉक या जॉग।
धीरे करें – झटके से स्ट्रेचिंग न करें, धीरे-धीरे सीमा तक जाएं.
दर्द हो तो रोकें – स्ट्रेचिंग करते वक्त हल्की खिंचाव सामान्य है, लेकिन तेज़ दर्द कभी नहीं होना चाहिए.
फॉर्म पर ध्यान दें – गलत पोजीशन से ही सबसे ज़्यादा चोटें लगती हैं.
रोज़ स्ट्रेचिंग जरूरी नहीं – हर दिन शरीर को स्ट्रेचिंग की जरूरत नहीं होती. हफ्ते में 3-4 दिन पर्याप्त हैं.