छत्तीसगढ़ :– इस साल धान खरीदी 15 नवंबर से शुरू होने जा रही है, लेकिन कर्मचारियों के आंदोलन ने किसानों और प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। प्रदेश के कई जिलों में धान खरीदी शुरू होने से पहले ही छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ और ऑपरेटर संघ ने धान खरीदी का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। संघ ने अपनी चार सूत्रीय लंबित मांगों को लेकर 3 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है।
प्रशासन ने धान खरीदी की तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन कर्मचारियों का आंदोलन अगर समय पर शांत नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में इसका असर सीधे धान खरीदी प्रक्रिया पर पड़ेगा। महासंघ और ऑपरेटर संघ का कहना है कि यदि राज्य सरकार ने उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया, तो वे 12 नवंबर से धान खरीदी का पूर्ण बहिष्कार करेंगे। इसमें प्रदेश की सभी सहकारी समितियों के कर्मचारी और 39 उपार्जन केंद्रों के संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर शामिल होंगे।संघ ने बताया कि उनकी मांगें खाद्य और सहकारिता विभाग से जुड़ी हैं और पिछले साल भी धान खरीदी से पहले आंदोलन हुआ था। उस समय शासन-प्रशासन ने मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस कारण कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ी है। महासंघ का कहना है कि उनकी मांगें जायज और भविष्य सुरक्षित करने वाली हैं।
आंदोलन को चरणबद्ध तरीके से अंजाम दिया जाएगा। 24 अक्टूबर को जिला मुख्यालयों में रैली निकालकर मंत्रियों के नाम ज्ञापन सौंपा गया 28 अक्टूबर को संभागीय स्तर पर “महाहुंकार” रैली आयोजित होगी। इसके बाद 3 से 11 नवंबर तक संभागीय स्तर पर आंदोलन जारी रहेगा। और 12 नवंबर से लंबित चार सूत्रीय मांगों की पूर्ति के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की जाएगी।कर्मचारी नेताओं ने साफ कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, धान खरीदी का बहिष्कार जारी रहेगा। ऐसे में यह आंदोलन केवल कर्मचारियों की नहीं, बल्कि प्रदेश के लाखों किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण है। धान खरीदी छत्तीसगढ़ के किसानों की आमदनी का मुख्य स्रोत है, इसलिए इस आंदोलन का असर सीधे किसानों की जेब पर पड़ सकता है।
इस बार धान खरीदी से पहले सरकार और कर्मचारियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। अब यह देखने की बात है कि प्रशासन समय रहते कर्मचारियों को मनाने में सफल होता है या आंदोलन धान खरीदी की शुरुआत से पहले ही खरीदी केंद्रों पर असर दिखाएगा।धान खरीदी और किसानों का भविष्य अब सीधे इस आंदोलन से जुड़ा हुआ है।
