नई दिल्ली:– भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के दौरान ड्यूटी से अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। इन कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया है। जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) और अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि वह अपने कई कर्मचारियों का वेतन जारी नहीं करेगा क्योंकि ये भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के दौरान ड्यूटी से अनुपस्थित थे।
अधिकारी ने बताया कि दंडित कर्मचारियों में संकाय सदस्य, सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट, कंसल्टेंट, स्टाफ नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, तकनीकी स्टाफ, मंत्रालयिक स्टाफ, मल्टी-टास्किंग स्टाफ, इंटर्न और कई अन्य लोग शामिल हैं। ये लोग 7 मई को शहर से भाग गए थे।
जीएमसी राजौरी के प्रिंसिपल प्रोफेसर डॉ. एएस भाटिया ने आदेश में कहा कि “उक्त अवधि को अनधिकृत अनुपस्थिति माना जाएगा और लागू नियमों और विनियमों के अनुसार उनके सेवा रिकॉर्ड/सेवा रजिस्टर में उचित प्रविष्टियां की जाएंगी।”
पाकिस्तान की गोलीबारी से राजौरी और पुंछ सबसे ज्यादा प्रभावित
सरकारी मेडिकल कॉलेज राजौरी और पुंछ के सीमावर्ती जिलों के समूचे पीर पंजाल क्षेत्र के लिए एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान है। पाकिस्तानी गोलाबारी से सबसे अधिक प्रभावित यही दोनों जिले हुए है।
जम्मू-कश्मीर में कुल 28 लोगों की मौत
भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष के दौरान जम्मू-कश्मीर में हुई कुल 28 मौतें हुई है। इसमें से कम से कम 20 मौतें इन दो जिलों में हुईं, जबकि 50 से ज़्यादा लोग घायल हुए। मृतकों में राजौरी के अतिरिक्त जिला विकास आयुक्त राज कुमार थापा भी शामिल थे। थापा की 10 मई को राजौरी शहर में उनके आवासीय परिसर पर गोला गिरने से मौत हो गई थी। जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिले इससे खास तौर पर प्रभावित हुए हैं।
अस्पताल प्रबंधन के इस फैसले के बाद कर्मचारियों की परेशानी बढ़ गई है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान ड्यूटी से गायब रहे उसके कई कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाएगा।