नई दिल्ली:– भारत में डिजिटल पेमेंट्स के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म, UPI (Unified Payments Interface), में 3 नवंबर से कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं। यह बदलाव ट्रांजेक्शन सेटलमेंट प्रोसेस को तेज़ और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए किए गए हैं। अब से, UPI ट्रांजेक्शन को दो भागों में विभाजित किया जाएगा: ऑथराइज्ड ट्रांजेक्शन और डिस्प्यूट ट्रांजेक्शन। इससे, रोज़ाना होने वाले सेटलमेंट साइकल्स में विलंब को कम किया जा सकेगा और प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जा सकेगा।
ऑथराइज्ड और डिस्प्यूट ट्रांजेक्शन के लिए अलग-अलग साइकल
अब तक UPI के ट्रांजेक्शन की संख्या इतनी बढ़ चुकी थी कि ऑथराइज्ड और विवादित ट्रांजेक्शन एक ही सेटलमेंट साइकल में प्रोसेस होते थे, जिससे देरी होती थी। नए नियमों के तहत, 10 सेटलमेंट साइकल्स में केवल ऑथराइज्ड ट्रांजेक्शन होंगे, जिनकी टाइमिंग रात 9 बजे से लेकर रात 9 बजे तक बंटी जाएगी। वहीं, विवादित (डिस्प्यूट) ट्रांजेक्शन के लिए दो अलग साइकल होंगे – एक रात 12 बजे से दोपहर 4 बजे तक और दूसरा दोपहर 4 बजे से रात 12 बजे तक। इस बदलाव से ट्रांजेक्शन की प्रोसेसिंग तेज़ और अधिक पारदर्शी हो जाएगी।इस बदलाव से लाभ
सिद्धार्थ मेहता, जो कि फिनटेक कंपनी कीवी के को-फाउंडर हैं, के मुताबिक, इस बदलाव से डिजिटल पेमेंट्स सिस्टम अधिक भरोसेमंद और स्केलेबल बनेगा। ग्राहकों को जल्दी और भरोसेमंद रिफंड मिल सकेंगे, जिससे उनका विश्वास और बढ़ेगा। इसके साथ ही, बैंकों और फिनटेक कंपनियों को अधिक क्लैरिटी मिलेगी, जिससे वे बिना किसी देरी के नए सर्विसेज जैसे क्रेडिट ऑन UPI, बीएनपीएल (Buy Now, Pay Later), और EMI लॉन्च कर सकेंगे। इस तरह, UPI भारत की डिजिटल पेमेंट्स की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए और भी सुरक्षित और सुलभ बनेगा।
