बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द कर दिया है. बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने शेख हसीना के अलावा उनके कैबिनेट के मंत्रियों, सलाहकारों और सांसदों को फौरन डिप्लोमेटिक पासपोर्ट जमा कराने को कहा है. ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री की फैमिली को भी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट सरेंडर करने को कहा गया है. आपको बता दें कि तख्तापलट के बाद न सिर्फ शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा बल्कि अपना देश भी छोड़ना पड़ा. वह 5 अगस्त को भारत आ गईं. तब से यहीं हैं.किसने की प्रत्यर्पण की मांग?शेख हसीना (Sheikh Hasina) का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द होने के बाद उनके प्रत्यर्पण की मांग भी उठ रही है.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और शेख हसीना की कट्टर विरोधी खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी ने भारत से मांग की है कि शेख हसीना को वापस भेज दें. इसके पीछे, दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि का हवाला दिया है.शेख हसीना ने कौन सा समझौता किया था?भारत और बांग्लादेश के बीच साल 2013 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी. प्रत्यर्पण एक औपचारिक प्रक्रिया है, जिसके तहत कोई देश, दूसरे देश से किसी अपराध के आरोपी या दोषी व्यक्ति को वापस भेजने का अनुरोध करता है. दिलचस्प बात यह है कि 2013 में जब भारत-बांग्लादेश के बीच यह संधि हुई तो शेख हसीना ही प्रधानमंत्री थीं. साल 2016 में इस संधि में संशोधन हुआ और इसमें कुछ भगोड़ों के प्रत्यर्पण से जुड़े कुछ नए प्रावधान जोड़े गए
भारत-बांग्लादेश की प्रत्यर्पण संधि में क्या है?भारत और बांग्लादेश के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि (India Bangladesh Extradition Treaty) में कहा गया है कि दोनों देश ऐसे व्यक्तियों का प्रत्यर्पण करेंगे, जिनके खिलाफ अदालत में मुकदमा लंबित है, वो किसी आरोप का सामना कर रहे हैं या किसी अपराध में दोषी पाए गए हैं. संधि में कहा गया है कि प्रत्यर्पण के लिए संबंधित शख्स का अपराध ऐसा होना चाहिए, जिसमें कम से कम 1 साल की सजा का प्रावधान हो. प्रत्यर्पण के दायरे में वित्तीय अपराध भी आते हैं.किस आधार पर भारत ठुकरा सकता है प्रत्यर्पण मांग?भारत-बांग्लादेश के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि में कई ऐसी शर्तें भी हैं, जिसके आधार पर दोनों देश किसी शख्स के प्रत्यर्पण से इनकार कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर संधि में कहा गया है कि अगर किसी शख्स के ऊपर राजनीतिक प्रकृति के आरोप हों तो प्रत्यर्पण की अपील खारिज की जा सकती है. इसके अलावा यह भी कहा गया है कि अगर अपराध राजनीति से जुड़ा हो तब भी प्रत्यर्पण ठुकराया जा सकता है. इसके अलावा संधि में यह भी कहा गया है कि अगर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ आरोप न्यायिक प्रक्रिया के हित में नहीं हैं, तो इस स्थिति में भी प्रत्यर्पण की अपील खारिज की जा सकती है.
कहां फंस सकता है पेंच?भारत-बांग्लादेश के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि में ऐसे अपराधों की सूची भी है, जो राजनीतिक दायरे से बाहर रखे गए हैं. इसमें हत्या, किडनैपिंग, बम धमाके और टेररिज्म जैसे मामले शामिल है. शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में अब तक 50 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. ज्यादातर हत्या के हैं. ऐसे में भारत के लिए यह आसान नहीं होगा कि उनके प्रत्यर्पण को ‘राजनीतिक’ करार देकर ठुकराया जा सके. बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में दोनों देशों के बीच हुई संधि में धारा 10 (3) जोड़ी गई.जिसमें कहा गया है कि अगर दोनों देश एक-दूसरे से किसी शख्स के प्रत्यर्पण का अनुरोध करते हैं, तो इसके समर्थन में कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है. सिर्फ अदालत से जारी गिरफ्तारी का वारंट दिखाना होगा. इसका मतलब यह है कि शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होते ही बांग्लादेश उनके प्रत्यर्पण की मांग कर सकता है
.26 दिन बाद क्या करेंगी शेख हसीना?भारत की वीजा पॉलिसी के मुताबिक अगर किसी बांग्लादेशी नागरिक के पास डिप्लोमेटिक या ऑफिशियल पासपोर्ट है तो वह बगैर वीजा यहां 45 दिन तक रुक सकता है. चूंकि शेख हसीना का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द हो चुका है और उन्हें भारत आए हुए 19 दिन हो गए हैं, ऐसे में उनके पास 26 दिन और बचे हैं. बांग्लादेशी न्यूज़ पोर्टल द डेली स्टार के मुताबिक शेख हसीना के पास डिप्लोमेटिक पासपोर्ट के अलावा सामान्य पासपोर्ट भी नहीं है
. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि 45 दिन की अवधि बीतने के बाद शेख हसीना क्या करेंगी.कूटनीतिक जानकार कहते हैं कि मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने भारत पर दबाव बनाने के मकसद से ही शेख हसीना (Sheikh Hasina) का डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रद्द किया. हालांकि यह सब इतना आसान नहीं है. शेख हसीना लंबे समय से भारत की भरोसेमंद पार्टनर रही हैं. उनके कार्यकाल में दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधरे. पूर्वोत्तर में आतंकियों पर लगाम लगी और बॉर्डर पर तनाव भी घटा. ऐसे में इस बात की बहुत कम संभावना है कि भारत, शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग स्वीकार करेगा