नई दिल्ली:– UPSC की तैयारी करने वाले लाखों छात्रों के बीच चर्चित दिल्ली स्थित कोचिंग संस्थान दृष्टि आईएएस (डॉ. विकास दिव्यकीर्ति द्वारा संचालित) पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने संस्थान पर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (CSE) 2022 के परिणामों को लेकर भ्रामक विज्ञापन जारी करने के आरोप में 5 लाख रुपये का भारी जुर्माना लगाया है।
यह कार्रवाई उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 2(28) के तहत की गई है, जो झूठे और गुमराह करने वाले प्रचार को प्रतिबंधित करती है।
संस्थान ने अपने विज्ञापनों में प्रमुखता से दावा किया था कि “UPSC CSE 2022 में 216+ चयन” उसके छात्रों के हुए हैं, साथ ही सफल उम्मीदवारों के नाम और फोटो भी प्रकाशित किए गए थे। लेकिन CCPA की गहन जांच में यह दावा पूरी तरह भ्रामक साबित हुआ। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 216 दावे वाले उम्मीदवारों में से 162 (लगभग 75%) ने केवल संस्थान का मुफ्त इंटरव्यू गाइडेंस प्रोग्राम (IGP) जॉइन किया था, जो प्रीलिम्स और मेन्स क्लियर करने के बाद उपलब्ध होता है। यानी इनकी सफलता में दृष्टि आईएएस की कोई खास भूमिका नहीं थी—वे पहले ही परीक्षा के मुख्य चरण पार कर चुके थे। वास्तव में, केवल 54 उम्मीदवारों ने ही संस्थान के पेड कोर्स जैसे IGP के साथ मेन्स टेस्ट सीरीज या फाउंडेशन प्रोग्राम में दाखिला लिया था।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, दृष्टि आईएएस ने जानबूझकर यह महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई, जिससे छात्रों और उनके अभिभावकों को यह गलतफहमी हुई कि संस्थान ने सभी चरणों में इन उम्मीदवारों की सफलता सुनिश्चित की। इससे छात्रों को महंगे कोर्स जॉइन करने के लिए गुमराह किया गया। मंत्रालय ने इसे “बार-बार की गई अवज्ञा और उपभोक्ता संरक्षण नियमों की अनदेखी” करार दिया।
जानकारी के मुताबिक यह दृष्टि आईएएस पर दूसरी ऐसी सजा है। सितंबर 2024 में भी CCPA ने UPSC CSE 2021 के “150+ चयन” दावे पर संस्थान को 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था और भ्रामक विज्ञापन बंद करने का आदेश दिया था। उस समय संस्थान ने 161 उम्मीदवारों के नाम दिए थे, लेकिन जांच में पाया गया कि उनमें से 148 ने केवल फ्री IGP लिया था, जबकि बाकी 7 मेन्स मेंटरशिप, 4 जीएस फाउंडेशन और 1 वैकल्पिक कोर्स में थे। चेतावनी के बावजूद 2022 के लिए दावा बढ़ाकर 216 कर दिया गया, जो गलती की पुनरावृत्ति दर्शाता है।
संस्थान के सीईओ विवेक तिवारी ने प्रतिक्रिया में कहा कि CCPA ने 2021-22 के अधिकांश कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किए थे, और पहले की “गलती” विज्ञापन दिशानिर्देशों की कमी के कारण हुई थी, जो अब स्पष्ट हो गए हैं।
कोचिंग उद्योग में बढ़ती सख्ती: 54 संस्थानों पर नकेल
यह मामला कोचिंग उद्योग में बढ़ते भ्रामक प्रचार के खिलाफ सरकार की सख्ती का हिस्सा है। CCPA ने अब तक 54 कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किए हैं, जिनमें से 26 पर कुल 90.6 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लग चुका है। प्राधिकरण ने सभी संस्थानों को निर्देश दिया है कि विज्ञापनों में कोर्स की प्रकृति, अवधि और वास्तविक योगदान की पूरी पारदर्शिता बरती जाए, ताकि छात्र सूचित निर्णय ले सकें।
UPSC की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए यह घटना एक सबक है—कोचिंग चुनते समय दावों की पड़ताल जरूरी। सरकार की यह मुहिम उम्मीद जगाती है कि शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ेगी।