रायपुर :- राजधानी रायपुर में मोहल्लों के पास बेहतर प्राथमिक इलाज के उद्देश्य से शुरू किए गए हमर क्लिनिक अब महज दवाई बांटने के केंद्र बनते जा रहे हैं। कुशालपुर स्थित हमर क्लिनिक में न मरीजों की ठीक से जांच हो पा रही है, न ही डॉक्टर की सलाह मिल रही है। हालात ऐसे हैं कि नर्सें ही डॉक्टर की भूमिका निभा रही हैं, और बिना जांच किए मरीजों को दवा देकर घर भेज रही हैं।
डॉक्टर गायब, नर्सें बनीं डॉक्टर
हमर क्लिनिक की शुरुआत बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए की गई थी, लेकिन वर्तमान में शहर के 50 से अधिक हमर क्लिनिक में से अधिकतर में डॉक्टरों की भारी कमी है। केवल गिनती के कुछ क्लिनिकों में ही डॉक्टर मौजूद हैं, बाकी में नर्सों के भरोसे मरीजों का इलाज चल रहा है।
सिस्टम के बोझ तले दब गई नर्सें
सरकारी आदेशों का पालन करना नर्सों की मजबूरी बन गई है। वे अनुभव और अपने विवेक के आधार पर मरीजों को देख रही हैं, लेकिन किसी गलती की सजा भी उन्हें ही भुगतनी पड़ती है।
डॉक्टरों की मांग, लेकिन अब तक नहीं मिली मंजूरी
सीएमएचओ ने राज्य शासन को डॉक्टरों की भर्ती के लिए पत्र लिखा है, लेकिन अब तक शहर को पर्याप्त डॉक्टर नहीं मिल पाए हैं। इस कारण आधे से ज्यादा हमर क्लिनिक डॉक्टर विहीन हैं और मरीजों को सही इलाज नहीं मिल रहा है।
कुशालपुर के मरीज का उदाहरण
कुशालपुर निवासी नरेश साहू बीते तीन दिन से बुखार से पीड़ित थे। इलाज की उम्मीद लेकर हमर क्लिनिक पहुंचे, लेकिन वहां डॉक्टर मौजूद नहीं था। नर्स ने दवा थमा दी और घर भेज दिया। यदि मरीज की स्थिति गंभीर हो, तो नर्सें भी सीधा जवाब दे देती हैं “बाहरी अस्पताल में दिखा लीजिए।