जांजगीर चांपा: मुलमुला थाना क्षेत्र के लगरा गांव में पुलिस को 25 अगस्त को देर रात सूचना मिली कि 8 साल का बच्चा लापता है. बच्चे के परिजनों ने ये शिकायत दर्ज कराई. इस सूचना पर गुम इंसान और नाबालिग के अपहरण के मामले में मुलमुला थाने में केस दर्ज कर जांच शुरू की गई.
देर रात पुलिस गांव पहुंची और परिजनों, गांव वालों से पूछताछ की. कोई सुराग नहीं मिलने पर पुलिस वापस चली गई. दूसरे दिन 26 अगस्त को पुलिस ने अपनी जांच फिर शुरू की. सीसीटीवी फुटेज, गांव वालों से पूछताछ, जलाशय और तालाब के पास खोजबीन की गई. उस दिन भी अपहृत बच्चे का कुछ पता नहीं चला. इसके बाद 27 अगस्त को पुलिस ने डॉग स्कॉवायड की मदद ली. बच्चे के परिजनों और रिश्तेदारों से बारीकी से पूछताछ की गई.
इस दौरान पुलिस को अपहृत बालक के चचेरे भाई पर संदेह हुआ. जिसका नाम राहुल टंडन है. चचेरे भाई को हिरासत में लेकर गहन पूछताछ की गई तो इस बात का खुलासा हुआ कि उसी ने अपने भाई का अपहरण किया है. उससे बच्चे की जानकारी ली गई. राहुल टंडन की निशानदेही पर अपहृत बच्चे को रतनपुर क्षेत्र से बरामद किया गया. मुख्य आरोपी और उसके तीन साथियों को भी पुलिस ने पकड़ा.
जमीन बंटवारे को लेकर चाचा से नाराजगी: मामले का खुलासा करते हुए उप पुलिस अधीक्षक उमेश कुमार कश्यप ने बताया कि राहुल टंडन, उसके पिता और उसके चाचा, सम्राट टंडन के पिता के बीच जमीन के बंटवारे को लेकर रंजिश रखता था. चाचा से 10 लाख फिरौती मांगने के लिए उसने अपने चचेरे भाई का अपहरण कराया. सबसे पहले गामा ट्रक में अपने भाई को बैठाया. इसके बाद खपरीटाड़ में अन्य साथी प्रशांत कुमार मैना, उमेश दिवाकर और नाबालिग साथी ने मिलकर दूसरी गाड़ी में बैठाया. रतनपुर, अमरकंटक में जंगल में ले जाकर बच्चे को रखा.
उमेश कुमार कश्यप ने आगे बताया कि पूरी घटना का मास्टरमाइंड बच्चे के बड़े पिता का बेटा राहुल टंडन है. राहुल टंडन ने अपने साथियों को हिदायत दी थी कि जब तक वह उन्हें ना कहे, फिरौती की मांग ना करें. इसलिए आरोपियों ने फिरौती की मांग नहीं की थी. आरोपी ने 10 लाख रुपये फिरौती मिलने पर पांच लाख रुपये अपने साथियों को देने का वादा किया था.