चीन और रूस ने ऐलान किया है कि वे चाँद पर एक साझा स्पेस स्टेशन बनाएँगे.
रूस की स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमोज़ ने कहा है उसने चंद्रमा की सतह पर, कक्षा में या दोनों पर अनुसंधान सुविधाओं को विकसित करने के लिए चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है.
दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों के बयान के मुताबिक़ ये स्टेशन दोनों ही देशों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगा.
ये एलान ऐसे मौक़े पर किया गया है, जब रूस अपने मानवनिर्मित अंतरिक्ष उड़ान की 60वीं सालगिरह मना रहा है.
दोनों एजेंसियों ने एक बयान में कहा कि इंटरनेशनल साइंटिफ़िक लूनर स्टेशन चाँद पर कई तरह की खोज और इसके उपयोग से जुड़े कई वैज्ञानिक अनुसंधान करेगा.
बयान में कहा गया है, ”चीन और रूस अंतरिक्ष विज्ञान, अनुसंधान और विकास, अंतरिक्ष उपकरण और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की मदद में जुटाए गए अनुभव का इस्तेमाल संयुक्त रूप से लूनर स्टेशन का रोडमैप बनाने के लिए करेंगे. ”इसमें ये भी कहा गया है कि रूस और चीन दोनों अनुसंधान स्टेशन की योजना, डिज़ाइन, विकास और संचालन में एक दूसरे की मदद करेंगे.
चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम के एक विश्लेषक चेन लैन ने समाचार एजेंसी एएफ़पी से कहा कि ये परियोजना एक “बड़ी डील” है.
उन्होंने कहा, ”यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चीन के लिए सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग परियोजना होगी. ”
अंतरिक्ष की दुनिया में चीन को अपेक्षाकृत देरी से आगे बढ़ने वाला देश मानते हैं. लेकिन पिछले दिसंबर में इसका चांग ए-5 सफलतापूर्वक चाँद से पत्थर और ‘मिट्टी’ ला सका. इसे चीन की अंतरिक्ष में बढ़ती क्षमता के रूप में देखा गया.
वहीं, अंतरिक्ष की दुनिया को खोजने में नेतृत्व करने वाला देश माना जाने वाले रूस को हाल के वर्षों में चीन और अमेरिका ने अपनी गतिविधियों से पीछे छोड़ दिया है. बीते साल स्पेसएक्स के अंतरिक्ष यात्रियों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजे जाने के बाद से रूस ने ये एकाधिकार भी खो दिया है.
अमेरिका ने साल 2024 तक चाँद पर वापसी का एलान किया है. इस योजना का नाम है-आर्टेमिस, जिसमें 1972 में चाँद पर पहले इंसान के उतरने के बाद दूसरी बार एक आदमी और महिला चाँद की सतह पर उतरेंगी.