अरुण नैथानी
यूं तो मोहक व्यक्तित्व की धनी मिताली राज पिछले दो दशकों से महिला क्रिकेट में राज कर रही हैं, लेकिन उनकी हालिया चर्चा ऐसी पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बनने पर हुई, जिसने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में दस हजार रन पूरे किये। पिछले दो दशक के क्रिकेट में उनके नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं, उसके बावजूद इस 38 वर्षीय क्रिकेटर में अभी भी काफी क्रिकेट बाकी है। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में खेले गये एक दिवसीय क्रिकेट मैच में दस हजार रन बनाकर मिताली ऐसा करने वाली दुनिया की दूसरी खिलाड़ी बनी। उनसे पहले इंग्लैंड की चार्लेट एडवड्र्स ने यह मंजिल हासिल की थी। आज भी जिस लगन, अनुशासन और समर्पण से मिताली का क्रिकेट अभियान जारी है, उससे कई नए रिकॉर्डों की उम्मीद है। उनका ज्यादा लगाव एक दिवसीय क्रिकेट से रहा है। यही वजह है कि वह आगामी विश्वकप में एकाग्रता के लिए टी-20 फॉर्मेट को अलविदा कह चुकी हैं। एक दिवसीय मैचों में वह सात हजार के करीब रन बना चुकी हैं। हालांकि, मिताली ने एक दिवसीय मैचों के मुकाबले टेस्ट क्रिकेट कम खेला है, लेकिन उनकी गिनती भारत की सफल महिला कप्तानों के तौर पर होती है। यह भी एक हकीकत है कि जब वर्ष 1999 में मिताली ने अपने क्रिकेट करिअर की शुरुआत की तो भारतीय महिला क्रिकेट टीम को गंभीरता से नहीं लिया जाता था। तब कोई सोचता भी नहीं था कि कोई भारतीय महिला क्रिकेट टीम दुनिया में अपना मुकाम रखती है।
मिताली कहती हैं कि जब हम मैदान में किट लेकर जाते थे तो लोग सोचते थे कि शायद हॉकी की खिलाड़ी हैं। धीरे-धीरे टीम की अंतर्राष्ट्रीय छवि में सुधार हुआ तो उसमें मिताली राज जैसी खिलाडिय़ों की बड़ी भूमिका रही है। फिर वर्ष 2005 में एक समय ऐसा आया कि भारतीय टीम एक दिवसीय विश्वकप के फाइनल तक जा पहुंची। मिताली और उसकी टीम के खिलाडिय़ों के बेहतर खेल का ही नतीजा है कि भारतीय टीम आज एक दिवसीय क्रिकेट में दुनिया की दूसरे और टी-20 में तीसरे नंबर की टीम है।
तीन दिसंबर, 1982 को जोधपुर में एक तमिल परिवार में जन्मी मिताली की परवरिश हैदराबाद में हुई। पिता दोराय राज वायुसेना अधिकारी रहे। मिताली का पहला प्यार क्रिकेट नहीं भरतनाट्यम था लेकिन जब क्रिकेट की बात आई तो उन्होंने अपने प्रिय शौक को छोड़ दिया। मिताली ने अपने क्रिकेट की शुरुआत सेंट जॉन्स हाई स्कूल, हैदराबाद से की। क्रिकेट के प्रति उनका जुनून दस साल की उम्र से शुरू हुआ तथा सत्रह साल की उम्र में वह भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल हुईं। मिताली ने अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय मैच से ही अपने इरादे जाहिर कर दिये थे। यह मैच आयरलैंड के विरुद्ध 1999 में खेला गया, जिसमें मिताली ने 114 रन बनाये। इस मैच को भारत ने मिताली के खेल की बदौलत 161 रन से जीता। फिर मिताली ने मुड़ कर नहीं देखा। खेल जीवन के उतार-चढ़ावों के बीच उन्होंने कुछ विवादों के चलते टी-20 की कप्तानी भी छोड़ी।
एक दिवसीय मैचों को लेकर उनका जुनून हमेशा से रहा है। अब तक 212 एक दिवसीय मैचों में उन्होंने सात हजार के करीब रन बनाये हैं, जिसमें सात शतक व 54 अर्धशतक शामिल हैं। उनके नाम कई रिकॉर्ड हमेशा दर्ज रहेंगे। वर्ष 2006 में विश्व टी-20 खेल में भारतीय महिला क्रिकेट की शुरुआत मिताली की कप्तानी में हुई। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम दो वन-डे वर्ल्ड कपों के फाइनल में पहुंची। इसके अलावा वह एक दिवसीय मैचों में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली महिला खिलाड़ी हैं। साथ ही एक दिवसीय मैचों में सबसे अधिक बार पचास या उससे अधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी भी हैं। इसके अतिरिक्त एक दिवसीय मैचों में लगातार सात अर्धशतक लगाने का विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम है।
अपने तीसरे टेस्ट में सर्वाधिक 214 रन बनाकर उन्होंने क्रिकेट समीक्षकों को चौंकाया था। अच्छी बात यह है कि सबसे ज्यादा वन डे मैच खेलने व सबसे ज्यादा रन बनाने के बावजूद वह पूरी तरह फिट हैं। यही वजह है कि देश व क्रिकेट को उनसे काफी उम्मीदें हैं। कोई सोच नहीं सकता कि जिस सुबह देर से जागने वाली और आलसी लड़की को सुधारने पिता स्टेडियम ले गये थे, वही आज भारतीय महिला क्रिकेट की सिरमौर है। बाद में पारखी कोच ने पिता को बताया कि इस लड़की में क्रिकेट की संभावना है और इसे कैंप में प्रशिक्षण दिया जाये। फिर उसे विधिवत् प्रशिक्षण दिया गया। वह बात अलग है कि मिताली आज भी नींद से समझौता नहीं करती और आठ घंटे सोती हैं।
क्रिकेट के अलावा किताब पढऩे का शौक मिताली को जुनून की हद तक है। यहां तक कि जब वे मैदान में अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही होती हैं तो उनके हाथ में किताब होती है। घर में उनका अच्छी-खासी किताबों का संग्रह है। संगीत भी उनका पसंदीदा शौक है। उन्होंने गिटार भी सीखा है।
उनकी मां लीला राज कहती हैं कि यह अच्छी बात है कि लड़कियां खूब खेलों में नाम कमा रही हैं, लेकिन उन्हें अपनी शिक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए। शिक्षा से बेटियों में आत्मविश्वास आता है। मजेदार बात यह है कि मिताली जब घर पर होती हैं तो क्रिकेट के बारे में बात नहीं होती। उस देश के मौसम के बारे में जरूर बात होती है। पिता कहते हैं कि वह मैच शुरू होने से पहले फोन जरूर करती हैं। मैं आंख बंद करके अपने ईश का ध्यान करता हूं। मुझे लगता है कि ऐसा करके मैं उसे धनात्मक ऊर्जा भेज पाता हूं। वे कहते हैं कि तमाम लोग उसकी शादी के बारे में सवाल जरूर करते हैं, हम उनसे कहते हैं कि आप इतनी दिलचस्पी न लें, वह देश के लिये खेल रही हैं। जब होगी तो पूरे देश को पता चल जायेगा, जिस पर मिताली का जवाब होता है कि मेरी प्राथमिकता क्रिकेट है। मुझे ऐसे व्यक्ति से शादी नहीं करनी जो पूछे कि क्रिकेट कब छोड़ रही हो।
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