नई दिल्ली:– खांसी के इलाज में दी गई कफ सिरप ने मध्यप्रदेश, राजस्थान में बच्चों पर कहर ढा दिया है। एक दर्जन बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर स्वास्थ्य अधिकारियों को कहा है कि दो साल के बच्चों को खांसी की दवा न दें। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने पीडि़त बच्चों को दी गई दवाओं के सैंपल की जांच रिपोर्ट के आधार पर माना है कि उनमें डायथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकोल (ईजी) जैसे घातक रसायन मौजूद नहीं हैं। ये दोनों रसायन किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं जबकि मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में किडनी फेल होने के कारण ही बच्चों की मौत हुई है।
उधर, तमिलनाडु सरकार ने ‘कोल्ड्रिफ’ की बिक्री पर रोक लगा दी है। तत्काल प्रभाव से बाजार से हटाने का आदेश दिया है। सरकारी लैब से टेस्टिंग के बाद रिपोर्ट आने तक उत्पादन पर रोक लगा दी गई है। तमिलनाडु के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अनुसार यह कंपनी मध्यप्रदेश, राजस्थान, पुड्डुचेरी को भी दवाइयां सप्लाई करती है।
स्वास्थ्य प्राधिकारियों की टीम जांच कर रही
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि बच्चों की मौत का वास्तविक कारण जानने के लिए एनसीडीसी, एनआइवी, आइसीएमआर, एम्स नागपुर और राज् यों के स्वास्थ्य प्राधिकारियों की टीम जांच कर रही है। मंत्रालय ने कहा कि नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी), सेंट्रल ड्रग्स स्टेंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) समेत विभिन्न संस्थानों की टीम ने मौके से विभिन्न नमूने एकत्र किए।
मध्यप्रदेश राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एसएफडीए) ने भी तीन सैंपल की जांच की, जिसमें डीईजी/ईजी की पुष्टि नहीं हुई। इसी दौरान पुणे स्थित एनआइवी ने ब्लड/सीएसएफ के सैंपल की जांच में एक केस में लेप्टोस्पायरोसिस की पुष्टि की है। मंत्रालय ने कहा कि पानी, मच्छरों और अन्य नमूनों की जांच अभी नीरी, एनआइवी पुणे व अन्य प्रयोगशालाओं की ओर से की जा रही है।
स्थानीय डॉक्टरों ने लिखे थे सिरप
जिन बच्चों की मौत किडनी फेल होने से बताई जा रही है उन्हें परासिया के शिशु रोग विशेषज्ञ को परिजन ने दिखाया था। डॉक्टर ने पर्चे में वही सिरप लिखे थे जो बाद में कलेक्टर ने प्रतिबंधित किए हैं। शुक्रवार को परासिया एसडीएम शुभम यादव ने कहा कि अब तक नौ बच्चों की मौत हुई है। दो सिरप की बिक्री और उपयोग पर रोक लगाई गई है। जिनकी जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है।
1- दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी/सर्दी की दवा न दी जाए।
-2- बच्चों में खांसी-जुकाम आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाते हैं, ऐसे में आराम, हाइड्रेशन व सहायक उपचार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
-3- सामान्यत: 5 साल से कम उम्र के बच्चों में भी दवाओं का उपयोग नहीं किया जाए।
-4- बड़ी उम्र के बच्चों में भी दवा केवल डॉक्टर की सलाह पर समुचित खुराक ही दी जाए।
-5- एक साथ कई दवाओं के कॉम्बिनेशन से बचा जाए और दवा कम से कम अवधि तक दी जाए।
-6- स्वास्थ्य संस्थाएं केवल प्रमाणित गुणवत्ता वाली दवाएं ही खरीदें।
12 बच्चे मौत से जूझ रहे
छिंदवाड़ा जिले के परासिया क्षेत्र में आठ मासूम जान गंवा चुके हैं। बुधवार को खजरी अंतु उमरेठ की डेढ़ वर्षीय संध्या ने नागपुर में दम तोड़ दिया। इसके साथ ही मृतकों की संख्या नौ हो गई। सभी की उम्र पांच वर्ष से कम है। 12 बच्चे गंभीर हालत में नागपुर और छिंदवाड़ा के अस्पतालों में भर्ती हैं। जांच में मृत बच्चों के घर से कोल्ड्रिफ और नेक्ट्रोल-डीएस सिरप मिलने पर आइसीएमआर और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने प्रारंभिक रिपोर्ट दी थी। इसी आधार पर तत्कालीन कलेक्टर ने जिले में इन कफ सिरप की बिक्री और उपयोग पर रोक (Health Ministry Cough Syrup Advisory) लगाई।
शुक्ल बोले- कुछ भी कहना संभव नहीं
नरसिंहपुर. उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा है, लगभग 12 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। तीन की जांच आई है। उनमें ऐसे कोई तथ्य नहीं मिले, जिससे कहा जा सके कि मौत इन दवाओं की वजह से हुई। बाकी सैंपल की रिपोर्ट आने तक कुछ भी कहना संभव नहीं है।
पहला केस और पहली मौत
- किडनी फेल होने का पहला केस 24 अगस्त को सामने आया।
-पहली मौत सात सितंबर को नागपुर में हुई।
- बच्चों के परिजन ने सिरप मेडिकल स्टोर से खरीदी थी, जहां ड्रग निरीक्षक ने स्टॉक को फ्रीज किया है।
जबलपुर से हुई थी सप्लाई
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम ने शुक्रवार को स्टॉकिस्ट के प्रतिष्ठान की जांच कर 16 शीशी कफ सिरप डेक्सट्रोमेथॉर्फिन हाइड्रोब्रोमाइड के सैंपल लिए। इसी प्रतिष्ठान से 594 शीशी छिंदवाड़ा भेजी गई थीं। बताया जाता है कि जबलपुर के ओमती स्थित कटारिया डिस्ट्रीब्यूटर से सिरप छिंदवाड़ा भेजा गया था। विभाग की जांच में पता चला कि कटारिया स्टॉकिस्ट ने तमिलनाडु के चेन्नई की कंपनी से 660 शीशी सिरप मंगवाई थी। जिसे उसने छिंदवाड़ा के स्टॉकिस्ट को 594 शीशी भेजी थीं। शेष 66 शीशी उसी के पास थीं। विभाग की टीम ने सैंपल के लिए 16 शीशी को सील किया। बाकी 50 शीशी फ्रीज करा दीं।
मरीजों तक कितनी शीशी पहुंचीं
बताते हैं कि सिरप छिंदवाड़ा में न्यू अपना फार्मा, आयुष फार्मा व एक अन्य स्टॉकिस्ट के पास भेजे गए थे। विभाग पता लगा रहा है कि कितनी शीशी मरीजों तक पहुंचीं। उधर, छिंदवाड़ा के सीएमएचओ डॉ. धीरज दवंडे ने कहा, सैंपल की जांच रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है। एसडीएम शुभम यादव की मानें तो अभी तक स्पष्ट कारण का पता नहीं चल सका है।
जांच में नहीं मिला घातल रसायन
मध्यप्रदेश में कफ सिरप लेने के बाद किडनी फेल होने से नौ बच्चों की मौत के बाद दवा सैंपल की लैबारेटरी जांच को लेकर विरोधाभास सामने आ रहा है। केंद्र सरकार ने कहा है कि मध्यप्रदेश में मरने वाले बच्चों के पास मिली दवा के सैंपल की जांच में प्रतिबंधित घातक रसायन डीईजी/ईजी की पुष्टि नहीं हुई है। इससे सवाल उठ रहे हैं।
राजस्थान में बच्चों के लिए बैन हुई दवा
राज्य सरकार की नि:शुल्क दवा योजना में सप्लाई की गई डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन कफ सिरप को सरकार ने जांच के बाद क्लीन चिट दे दी है। हालांकि यह सिरप बच्चों के लिए अनुशंसित नहीं (Health Ministry Cough Syrup Advisory) है। सीकर और भरतपुर के तीन बच्चों की मौत के बाद चिकित्सा विभाग ने कंपनी की ओर से आपूर्ति की गई दवा के सैंपलों की जांच करवाई थी। जिसमें दूषित होने व डीईजी, ईजी का संभावित स्रोत हानिकारक प्रोपाइलीन ग्लाइकोल नहीं पाया गया। सिरप जयपुर की केयसंस फार्मा ने सप्लाई की थी।