नई दिल्ली:– आजकल पेट की गड़बड़ी की समस्या से हर कोई जूझ रहा है. कभी कब्ज तो कभी दस्त ने लोगों के हौंसले पस्त कर रखे हैं. हेल्थ एक्सपर्टों का कहना कि यह समस्या हमारी खराब लाइफस्टाइल और खानपान में गड़बड़ी का परिणाम है. इसके साथ ही एक खास विटामिन की कमी भी पाचन तंत्र को डिस्टर्ब करने की बड़ी वजह होता है. जब भी शरीर में इस विटामिन की कमी हो जाती है तो हमें बदहजमी, पेट दर्द, गैस-एसिडिटी की समस्या का सामना करना पड़ता है. अगर आप भी अक्सर पेट गड़बड़ी की समस्या से जूझ रहे हैं तो आप अलर्ट हो जाएं. यह आपकी सेहत को बुरी तरह खराब कर सकता है. आइए जानते हैं कि पेट की गड़बड़ी का जिम्मेदार कौन सा विटामिन होता है.
हेल्थ एक्सपर्टों के मुताबिक, पेट की गड़बड़ी के पीछे कई कारण होते हैं. लेकिन एक ऐसा विटामिन भी होता है, जिसका कमी होने पर हमारे शरीर का पाचन तंत्र बुरी तरह गड़बड़ हो जाता है. इस विटामिन का नाम विटामिन बी3 (Vitamin B3) है. जब शरीर में इस विटामिन की कमी हो जाती है तो अपच, बदहजमी, पेट में इंफेक्शन, उल्टी-दस्त जैसी समस्याएं व्यक्ति को घेर लेती हैं.
विटामिन बी3 को नियासिन भी कहा जाता है. यह पाचन तंत्र को मजबूत करने के लिए बहुत जरूरी माना जाता है. यह विटामिन हमारे खाए हुए भोजन को एनर्जी में चेंज करने का काम करता है. इस विटामिन की वजह से हमारा तंत्रिका तंत्र और पाचन तंत्र मजबूत बनता है. यह पेट की मांसपेशियों को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखने में भी सहायता प्रदान करता है. इस विटामिन के सेवन से हमारे थॉयरायड ग्लैंड में सुधार होता है.
पानी में घुलनशील विटामिन
यह पानी में घुलनशील विटामिन है, कोलेस्ट्रॉल और वसा बनाने. डीएनए बनाने और उसे रिपेयर करने में भी मदद देता है. शरीर में मेटाबॉलिज्म की सही स्पीड बनाए रखने में विटामिन बी3 अहम योगदान करता है. यदि शरीर में इस विटामिन की कमी हो जाए तो पेट की गड़बड़ी के साथ-साथ कमजोरी आने, सुस्ती पसरने, बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है. साथ ही गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं भी शरीर को घेर सकती हैं.
विटामिन B3 की पूर्ति कैसे करें?
शरीर में विटामिन बी3 की कमी की कमी पूरी करने के लिए आप बंद गोभू, पालक, केल, ज्वार, बाजरा, गेहूं., मिलेट्स, फली, सूखे मेवे, सीड्स, दूध और अंडे खा सकते हैं. इन सब चीजों में विटामिन बी3 कूट-कूटकर भरा होता है, जो हमारे पेट के मेटाबॉलिज्म को मजबूत करता है. इससे पेट पर बढ़ती चर्बी भी कम हो जाती है और गैस-एसिडिटी की समस्या दूर होती है.
