रायपुर :- आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में आयोजित सम्मान समारोह में लोकतंत्र सेनानियों को आमंत्रित कर राज्य सरकार ने उनके संघर्ष को नमन किया. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस दौरान कहा कि 1975 में लगाए गए आपातकाल ने ना केवल संविधान, बल्कि स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति और मौलिक अधिकारों को भी कुचलने का काम किया. इस काले अध्याय को याद करना आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ियों को लोकतंत्र की कीमत समझ में आ सके.
कांग्रेस ने किया था बड़ा पाप : मुख्यमंत्री ने कहा कि वे उस समय बालक थे, लेकिन अपने राजनीतिक गुरु ‘महाराज’ के परिवार की पीड़ा उन्होंने नजदीक से देखी थी. एकमात्र कमाऊ सदस्य के जेल चले जाने पर पूरा परिवार दाने दाने को मोहताज हो गया था. ये वो परिवार थे जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए सब कुछ खोया.
आपातकाल लोकतांत्रिक इतिहास की दुखद घटना : आपातकाल स्मृति दिवस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि आपातकाल के दौरान देश की सड़कों पर इंदिरा गांधी के विरोध में एक ही नारा गूंजता था “इतनी लंबी जेल तुम्हारी, देख लिया है देखेंगे, दम है कितना दमन में में तेरे, देख लिया है देखेंगे.डॉ रमन सिंह ने कहा कि 25 जून 1975 को लगाया गया आपातकाल देश के लोकतांत्रिक इतिहास की सबसे दुखद घटना थी. इसका कारण केवल एक था — तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का पद से हटाए जाने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला.उन्होंने कहा कि उस समय ना मीडिया बोल सकता था, ना न्यायपालिका स्वतंत्र थी, ना ही संसद में विपक्ष की आवाज.
सीएम साय ने किया सम्मान : डॉ. रमन सिंह ने कहा कि आज हम लोकतंत्र कि जो आज़ादी महसूस कर रहे हैं, वह इन लोकतंत्र सेनानियों के त्याग और बलिदान का परिणाम है. उन्होंने सभी सेनानियों को नमन करते हुए कहा कि यदि आज लोकतंत्र जीवित है, तो इसका श्रेय आप सभी को जाता है.कार्यक्रम में अनेक लोकतंत्र सेनानी, जनप्रतिनिधि, अधिकारीगण एवं उनके परिजन उपस्थित रहे. जिनका एक-एक कर मुख्यमंत्री सहित मंच पर उपस्थित सदस्यों ने सम्मान किया.