नई दिल्ली;– हमारे देश भारत में हजारों साल पुराने मंदिरों का इतिहास और आस्था जुड़ी हुई है। हर मंदिर की अपनी विशेषता है, लेकिन कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित कोटिलिंगेश्वर मंदिर अपनी अनोखी पहचान के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां 90 लाख से अधिक शिवलिंग स्थापित किए जा चुके हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है
कोटिलिंगेश्वर मंदिर का इतिहास
कन्नड़ भाषा में ‘कोटी’ का अर्थ होता है एक करोड़, और इस मंदिर का नाम इसी से जुड़ा है – कोटिलिंगेश्वर। इस मंदिर की स्थापना साल 1980 में स्वामी संभा शिवमूर्ति ने की थी। उनका सपना था कि यहां एक करोड़ शिवलिंग स्थापित किए जाएं।
शुरुआत में यहां कुछ ही शिवलिंग स्थापित थे लेकिन समय के साथ दानदाताओं और श्रद्धालुओं की आस्था ने इसे लाखों तक पहुंचा दिया। यहां पर मौजूद 108 फीट ऊंचा शिवलिंग और 35 फीट ऊंची नंदी प्रतिमा इस मंदिर के मुख्य आकर्षण हैं। यह एशिया का सबसे बड़ा और सबसे ऊंचा शिवलिंग माना जाता है।
मंदिर परिसर और विशेषताएं
करीब 15 एकड़ में फैले इस मंदिर परिसर में छोटे-बड़े लाखों शिवलिंग स्थापित हैं। भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार यहां दान देकर शिवलिंग स्थापित कर सकते हैं। खास बात यह है कि दान किए गए शिवलिंग पर दानदाता का नाम भी अंकित किया जाता है।
मंदिर में केवल शिवलिंग ही नहीं बल्कि 11 छोटे-छोटे मंदिर भी बने हैं जो भगवान विष्णु, ब्रह्मा, महेश, भगवान राम, देवी अन्नपूर्णेश्वरी, देवी करूमारी अम्मा, भगवान वेंकटारमणी स्वामी, भगवान पांडुरंग स्वामी, भगवान पंचमुखी गणपति, भगवान हनुमान और देवी कन्निका परमेश्वरी को समर्पित हैं।
महाशिवरात्रि पर लाखों की भीड़
सालभर यहां भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना और अभिषेक का आयोजन किया जाता है। मंदिर परिसर में एक बड़ा जलकुंड भी है जहां भक्त शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं।
भक्तों के लिए सुविधाएं
चूंकि यह मंदिर हाल के दशकों में स्थापित हुआ है, इसलिए यहां भक्तों और पर्यटकों के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। मंदिर परिसर में शौचालय, पानी की व्यवस्था, विवाह भवन, ध्यान कक्ष और प्रदर्शनी केंद्र बने हुए हैं। साथ ही बाहर छोटे बाजार में पूजा सामग्री और शिवलिंग की छोटी प्रतिमाएं आसानी से खरीदी जा सकती हैं।
कोटिलिंगेश्वर मंदिर तक कैसे पहुंचे?
यह मंदिर कर्नाटक के कोलार जिले के कम्मासनद्रा गांव में स्थित है। निकटतम हवाई अड्डा बेंगलुरु का केम्पेगौड़ा एयरपोर्ट है, जो लगभग 100 किमी दूर है। वहीं बेंगलुरु, मंगलुरु, हासन और हुबली से कोलार तक रेल सेवा उपलब्ध है।
बेंगलुरु से कोलार की दूरी करीब 70 किमी है और कार या बस द्वारा यह सफर लगभग 2 घंटे में पूरा किया जा सकता है। हरे-भरे खेतों, पहाड़ियों से गुजरता रास्ता और खूबसूरत नजारों के बीच यह ड्राइव बेहद सुखद अनुभव देती है।