*मध्यप्रदेश:-* जब आप किसी रिश्ते में बंधे होते हैं तो एक-दूसरे से काफी उम्मीदें भी बढ़ जाती हैं, रिलेशनशिप में पार्टनर से उम्मीदें रखना लाजमी है। लेकिन कई बार जरुरत से ज्यादा उम्मीदें लगाना नुकसानदेह साबित हो सकता है। आइए जानते हैं किन उम्मीदों से रिश्ते में परेशानी बढ़ सकती है।एक रिश्ता तभी तक निभाया जा सकता है, जब तक की दोनों तरफ से प्यार, ईमानदारी, एक-दूसरे के प्रति इज्जत, विश्वास बराबर रूप से हो. रिश्ता चाहे पति-पत्नी, प्रेमी-प्रेमिका का हो या फिर फैमिली, दोस्तों का हो, हर रिश्ते में एक-दूसरे से कुछ उम्मीदें भी होती हैं. उम्मीद हर कदम साथ निभाने का, सपोर्ट करने का, एक-दूसरे के साथ सुख-दुख शेयर करने का, लेकिन कई बार रिलेशनशिप में किसी एक का दूसरे से हर मामले में अधिक उम्मीदें लगाना रिश्ते में दूरियां भी ला देता है. इससे रिश्ते टूट जाते हैं. आइए जानते हैं ऐसी कौन सी 5 उम्मीदें हैं, जो आपके रिश्ते में दरार ला सकती हैं.*उम्मीदें जो खुशहाल रिश्ते को तोड़ सकती हैं*1. एक खबर के अनुसार, जब आप अपने लाइफ पार्टनर से परफेक्ट होने की अपेक्षा करने लगते हैं, तो इससे सामने वाले को ठेंस पहुंच सकता है. उन्हें ऐसा महसूस हो सकता है जैसे वे परफेक्ट नहीं हैं. उनके अंदर कोई खामी या कमी है. याद रखें, कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता है. इस तरह की उम्मीद रखने से केवल निराशा और आक्रोश ही पैदा होगा. पूर्णता की अपेक्षा करने की बजाय अपने साथी से प्यार करना सीखें. उन्हें उसी रूप में स्वीकार करें जैसे वो हैकुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपने पार्टनर से हमेशा सही होने की उम्मीद लगाए रहते हैं. छोटी सी भी गलती उन्हें बर्दाश्त नहीं होती है. एक बात याद रखें कि इंसान से ही गलती होती है. ऐसे में सामने वाले को अपनी गलती को सुधारने का मौका दें ना कि एक ही बात को लेकर कमेंट पास करते रहें. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो खुद को हर काम में सही साबित करने पर लग रहते हैं. फिर चाहे उनसे ही गलती क्यों ना हुई हो. इस तरह की बातें जब हर दिन होने लगती हैं तो रिश्ते में प्यार कम, कड़वाहट ज्यादा घुल जाती है.एक शोध के अनुसार, जो जोड़े हर बात पर एक-दूसरे से सहमत होते हैं, उनके बीच तलाक होने की संभावना उन कपल्स के मुकाबले अधिक होती है, जो ऐसा नहीं करते हैं. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जब हम अपने पार्टनर से हमेशा हमारे साथ सहमत होने की उम्मीद करते हैं, तो इसका मतलब ये होता है कि हम उनकी राय को उतना महत्व नहीं दे रहे हैं, जितना हम अपने को देते हैं. ऐसा करना किसी भी रिश्ते के लिए हेल्दी नहीं होता है. ऐसे में जब भी आपके बीच बहस हो तो उन्हें आपसे सहमत होने के लिए उकसाने की कोशिश करने की बजाय, उनकी बातों को सुनने की कोशिश करें. इससे आप एक-दूसरे के और भी ज्यादा करीब आ सकते हैं.कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो चाहते है कि बिना चीजों को जाने-समझे सामने वाला उनके मन-मस्तिष्क में क्या चल रहा है, उसे पढ़ ले, समझ ले. लेकिन, किसी के दिमाग में क्या चल रहा है, इस बात को पढ़ना, जानना असंभव है. यदि आप चाहते हैं कि आपके साथी को पता चले कि आपके दिमाग में क्या चल रहा है, तो आपको उनसे डायरेक्ट बात करनी होगी. ऐसा ना करके आप खुद को ही नुकसान पहुंचाएंगे. पार्टनर से इस तरह की उम्मीद करना कहीं से भी सही नहीं है.आप चाहते हैं कि आपका रिश्ता ना टूटे तो हमेशा एक-दूसरे की अपेक्षाओं को समझने की कोशिश करें. संबंधों को मजबूत करने के लिए उन्हें सही तरीके से मैनेज करने की कोशिश करें. आप किसी नए रिश्ते में बंधने वाले हैं या फिर किसी मौजूदा रिश्ते को बनाए रखना चाहते हों, विश्वास और स्थायी खुशी के निर्माण के लिए यथार्थवादी अपेक्षाएं करना आवश्यक है।
