मध्यप्रदेश:– पांच दिवसीय दिवाली का पावन पर्व आज से शुरू हो गया है और चारों ओर का माहौल देखने लायक है. बाजारों में खरीदारों की भीड़ लगी हुई है. दीपावली जैसे शुभ अवसर पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विधिपूर्वक की जाती है. इस दिन सही मूर्तियों का चयन करना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सीधा संबंध आपके घर की सुख-समृद्धि से भी माना जाता है.
आज हम आपको बताएंगे कि दीपावली पर पूजा के लिए माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की कैसी मूर्तियां खरीदनी चाहिए.
मूर्तियां अलग-अलग होनी चाहिए
लक्ष्मी और गणेश जी की संयुक्त मूर्ति नहीं खरीदनी चाहिए. अलग-अलग विग्रह मूर्तियां का होना शुभ माना जाता है, ताकि दोनों देवताओं की पूजा विधिवत और पूर्ण रूप से की जा सके.
मूर्ति की दिशा और मुद्रा
माता लक्ष्मी की मूर्ति में उन्हें कमल के फूल पर बैठी हुई मुद्रा में दिखाया गया हो, जहां वे दोनों हाथों से धन सिक्के की वर्षा कर रही हों. भगवान गणेश की मूर्ति में उनका दायां हाथ आशीर्वाद मुद्रा में हो और बाईं ओर मोदक लड्डू रखा हो. गणेश जी की सूंड बाईं ओर मुड़ी हुई होना अधिक शुभ माना जाता है हालांकि दाईं ओर की सूंड वाली मूर्ति की भी विशेष पूजा होती है, पर वह विशेष नियमों से की जाती है।
मूर्ति की सामग्री
मिट्टी, धातु तांबा, पीतल, संगमरमर या पंचधातु की मूर्तियां शुभ मानी जाती हैं. प्लास्टिक या सस्ते कृत्रिम पदार्थों से बनी मूर्तियों से बचना चाहिए.
मूर्ति का रंग
लक्ष्मी जी के लिए लाल या गुलाबी वस्त्रों वाली मूर्ति श्रेष्ठ मानी जाती है. गणेश जी के लिए पीले या सफेद वस्त्रों वाली मूर्ति शुभ होती है.
चेहरा और भाव
मूर्ति का चेहरा शांत, मधुर और प्रसन्न मुद्रा में होना चाहिए. मुखमंडल जितना आकर्षक और शांत दिखाई देगा, उतनी ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा.
पुरानी मूर्तियों का विसर्जन
यदि आप नई मूर्तियां ला रहे हैं, तो पुरानी मूर्तियों का विधिपूर्वक गंगाजल या किसी स्वच्छ जल में विसर्जन करना चाहिए.
विशेष मान्यता
दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश के साथ मां सरस्वती की भी पूजा का विधान है, विशेषकर व्यापारियों और विद्यार्थियों के लिए. पूजा के समय मूर्तियों को चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर ध्यानपूर्वक स्थान देना चाहिए।