कोरबा :– प्रदेश में ऊर्जाधानी के नाम से विख्यात कोरबा इसकी पहचान यहां उपलब्ध कोयला बिजली और पानी को लेकर है। कोरबा प्रदेश मे ही नहीं अन्य दूसरी राज्यों को भी बिजली और कोयला देता है लेकिन यहां के लोग सुविधा के लिए तरस रहे हैं।कहते हैं डबल इंजन की सरकार रफ्तार पकड़ चुकी है--मगर यह रफ्तार अब सड़कों के गढ़ों में फंसी पड़ी है। जनता रोजाना सरकार की "तेज विकास यात्रा" का अनुभव अपने झटको से करती है-- कभी बाइक के साथ उछलती है, कभी स्कूटर के साथ गिरती है।
सभी दिशाओं से शहर से जोड़ने वाली सड़कों का बुरा हाल है बारिश के दिनों में इन सड़कों पर पानी भरा हुआ है।जहां जनता की गाड़ियां गड्ढों में हिचकोलें खा रही हैं, वही अफसर बतानुकूलित कमरों में "विकास की रिपोर्ट पर चर्चा कर रहे हैं। "किसी को जनता की कराह नहीं सुनाई देती है क्योंकि सरकारी फाइलों में पहले ही सड़के "शानदार"दर्ज हैं।
सरकार के नेता भी चुप हैं-- शायद गड्ढों की गहराई नापने का टेंडर अभी मंजूर नहीं हुआ ! उधर लोग कहते हैं --"सड़क नहीं तालाब है"! मगर जवाब मिलता है-- "यही तो विकास की नई परिभाषा है"।
डबल इंजन की सरकार में अब जनता तय नहीं कर पा रही कि यह गधों में चल रही है या विकास के रास्ते पर।
Post Views: 145