बिलासपुर:- विश्नोई फिलहाल राज्य सरकार की आईटी एजेंसी चिप्स के सीईओ हैं और भारत नेट परियोजना का काम देख रहे हैं. यहां पर इसकी मुख्य एजेंसी टाटा कंपनी है जिसने अन्य सब एजेंसियों को काम दे रखा है. महीनों पहले विश्नोई तब चर्चा में आए थे जब इसका काम देख रही एक कंपनी को 70 करोड़ का भुगतान कर दिया गया था. इसमें विश्नोई की भूमिका संदिग्ध मानी गई थी. भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने भी विधानसभा में सवाल उठाकर भारत नेट परियोजना का मुददा उठाया था. तब से विश्नोई भाजपा के निशाने पर थे. चूंकि भारत नेट परियोजना में केन्द्र का 70 प्रतिशत हिस्सा लगा है इसलिए भ्रष्टाचार की बू आने के बाद एजेंसी के निशाने पर थे.
2009 बैच के आइएएस समीर विश्नोई के पास लगभग दो साल तक माइनिंग डायरेक्टर, माइनिंग कारपोरेशन के एमडी, आईजी रजिस्ट्रेशन और जीएसटी डायरेक्टर जैसे मालदार विभाग का जिम्मा था. फिलवक्त वे चिप्स के सीईओ और मार्कफेड के एमडी हैं. इससे साबित होता है कि वे सरकार के कितने करीब हैं. ईडी ने अपनी पूछताछ में इन्हीं विभागों पर केंद्रित रखी और अंततः समीर को गिरफतार कर लिया गया. इसके पहले उनकी पत्नी से भी कभी देर तक पूछताछ होती रही.
बताया जाता है कि खनिज विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. एक गिरोह बनाकर काम किया गया और विश्नोई उनके हिसाब से खदानें बांटते रहे. अपुष्ट खबर यह भी उड़ी है कि प्रति टन 25 रूपये की दलाली खाई गई. सूत्रों के मुताबिक समीर विश्नोई के पास जो अकूत संपत्ति के कागजात मिले हैं, उनमे लाखों की नकदी, ंएक फार्म हाउस, और बेनामी संपत्ति के कागजात भी है हालांकि इसकी पुष्टि किसी ने नही की है.
आइएएस समीर विश्नोई के साथ दो कोयला कारोबारियों को भी गिरफतार किया गया है. इनमें सूर्यकांत तिवारी के चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी और सुनील अग्रवाल शामिल हैं. हालांकि ईडी ने इसकी कोई पुष्टि नही की है और ना ही छत्तीसगढ सरकार की ओर से कोई पुष्टि की गई है. तीनों की गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग केस में की गई है. विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि आजकल में एक और अफसर की गिरफतार हो सकती है!