नई दिल्ली:- हैदराबाद शहर के बाजार में नकली दवाइयों का बोलबाला है. अधिकारियों की तलाशी के दौरान पता चला है कि ये दवाइयां न केवल काशीपुर (उत्तराखंड), गाजियाबाद, प्रयागराज (यूपी) और उत्तर भारत के अन्य स्थानों पर बल्कि शहर के केंद्र में भी बनाई जा रही हैं.
पिछले दिनों डीसीए अधिकारियों ने एलबी नगर, मूसापेट, मलकपेट, कर्मनघाट, धुलपल्ली, सुल्तान बाजार, मुसरमबाग और अन्य क्षेत्रों में दवा की दुकानों से नकली दवाइयां जब्त की हैं. पता चला है कि ड्रग्स रूल्स लेबलिंग एक्ट की अनुसूची एच2 के तहत आने वाले शीर्ष 300 फॉर्मूला ब्रांडों में मिलावट करके उन्हें बाजार में लाया जा रहा है.
कैसे हो रही है मिलावट
अधिकारियों ने पाया है कि बड़ी संख्या में लोगों की खरीदी जाने वाली महंगी दवाओं में मिलावट की जा रही है. इन्हें चाक पाउडर, मक्के और आलू के आटे से बनाया जाता है और ब्रांडेड दवाओं की तरह पैक करके दुकानों पर सप्लाई किया जाता है.
अन्य लोग टैबलेट में निर्धारित मात्रा से कम दवा डालकर बेचते हैं. नतीजतन मरीजों को पर्याप्त दवा नहीं मिल पाती और बीमारी कम नहीं होती, बल्कि बढ़ती जाती है. कई बार तो इन्हें खतरनाक रसायनों से बनाकर गोलियों और इंजेक्शन में भर दिया जाता है.
अधिकारी ने बताया कि इनके इस्तेमाल से मरीजों की जान को खतरा हो सकता है. बताया जाता है कि लोकप्रिय ब्रांड की दवाओं की बिक्री ज्यादातर कैंसर, हाई कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दर्द निवारक, अल्सर रोधी, एंटीबायोटिक, थायरॉयड आदि बीमारियों से संबंधित होती है.
ऐसे करें पहचान
नियमों के मुताबिक, टॉप ब्रांड की जो दवाएं खूब बिकती हैं, उन पर क्यूआर कोड और बारकोड होता है. बिक्री के समय इन्हें स्कैन करेंगे तो साफ हो जाएगा कि ये असली हैं या नकली. जरा भी संदेह होने पर खरीदार जांच कर लें. इन्हें स्कैन करने के बाद यूनिक प्रोडक्ट आइडेंटिफिकेशन कोड, दवा का जेनेरिक नाम, ब्रांड नाम, निर्माण क्षेत्र, तारीख, बैच नंबर, एक्सपायरी डेट और लाइसेंस नंबर डिस्प्ले हो जाएगा. इससे यह भी पता चल जाएगा कि यह असली है या नहीं.
अफसरों का कहना है कि अगर दवा की पैकेजिंग पर बारकोड या क्यूआर कोड नहीं है, भले ही इन्हें स्कैन करने के बाद डिटेल न दिखे, तो भी इसकी नकली पहचान होनी चाहिए.