रायपुर। मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक ने इस वर्ष रिकार्ड 105 करोड़ टन धान खरीदी का फैसला लिया है। दिवाली की तैयारी में जुटे किसानों के लिए यह खुशियों भरा फैसला आया है। खाद्य आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत की अध्यक्षता में उपसमिति की अगली बैठक दिवाली के बाद होगी, जिसमें धान खरीद शुरू करने की तिथि के बारे में फैसला लिया जाएगा। इस तरह स्पष्ट संकेत है कि 15 नवंबर से पहले सरकारी तौर पर धान की खरीदारी नहीं शुरू हो पाएगी। किसानों के सामने यही समय ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
मंडियों में धान का पहुंचना शुरू हो चुका है और आढ़ती 1,100 से 1,500 रुपये क्विंटल तक के भाव में खरीद कर रहे हैं। इसकी वजह से जरूरतमंद किसानों को प्रत्यक्ष रूप से पांच सौ से आठ सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से नुकसान हो रहा है। 24 लाख से अधिक धान उत्पादकों ने इस वर्ष निबंधन कराया है, जिन्हें 1,940 से 1,960 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान के अलावा प्रति एकड़ नौ हजार रुपये की दर से राजीव गांधी न्याय योजना की राशि भी मिलेगी।
इनमें से जो किसान निबंधन के बावजूद अपना धान आढ़तियों को बेच देंगे, उन्हें नौ हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से न्याय योजना का भुगतान मिलना भी संदिग्ध हो जाएगा। इस तरह सरकारी स्तर पर खरीद शुरू नहीं होने के कारण किसानों को दोहरा नुकसान होने जा रहा है। पिछले वर्ष एक दिसंबर से धान खरीद शुरू होने के कारण किसानों के सामने इसी तरह की परेशानी आई थी। इसी तरह धान खरीद के लिए बारदाने का प्रबंध भी बड़ी चुनौती है।
जूट आयोग के साथ-साथ जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों और राइस मिलरों के सहयोग से बारदाना प्रबंधन के लिए पहले से ही जुटना होगा, ताकि धान सही तरीके से गोदामों तक पहुंच सके। पिछले वर्षों का अनुभव इस संबंध में सचेत करता है। राइस मिलरों के सामने सिर्फ अरवा चावल तैयार करने की चुनौती भी होगी, क्योंकि पिछले वर्षों में केंद्र सरकार 25 फीसद उसना चावल भी खरीदती रही है।
पिछले वर्ष के 48 लाख टन चावल की तुलना में इस वर्ष केंद्र सरकार ने प्रदेश से 61.65 लाख टन चावल खरीदने की स्वीकृति देकर प्रदेश सरकार के लिए राहतपूर्ण व्यवस्था का सृजन किया है, परंतु समय से खरीद शुरू नहीं होने के कारण किसानों के सामने आने वाली परेशानियों का समाधान भी राज्य सरकार के पास ही है।
खरीद समितियां अधिक से अधिक समय तक खरीद टालना चाहेंगी, ताकि सूखत की समस्या नहीं रहे, परंतु इसकी वजह से किसानों को अपनी त्योहारी जरूरतों के लिए औने-पौने दर पर कर्ज लेना पड़ेगा और उनकी मेहनत का लाभ बिचौलियों को अधिक मिलेगा। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि मंत्रिमंडलीय उपसमिति किसानों की समस्याओं को समझेगी और जल्द से जल्द धान खरीद शुरू कराने को प्राथमिकता देगी।