नई दिल्ली:– वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण टैक्स कम करना चाहती हैं, लेकिन भारत की चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं। उन्होंने यह इच्छा भोपाल में IISER के दीक्षांत समारोह में जाहिर की। सीतारमण ने बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल टैक्स बढ़ाने की घोषणा की थी। इसके बाद से टैक्स चर्चा का विषय बना हुआ है। मध्यप्रदेश की राजधानी में IISER के 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा, ‘मैं चाहती हूं कि इसे लगभग शून्य कर दूं, लेकिन भारत की चुनौतियां गंभीर हैं। इन चुनौतियों से पार पाना होगा।’ वह आगे बोलीं कि उनका काम राजस्व जुटाना है। लोगों को परेशान करना नहीं।
सीतारमण ने बताया- कहां जाता है टैक्स का पैसा
सीतारमण ने कहा, ‘कई बार वित्त मंत्री होने के नाते मुझे संतोष नहीं मिलता, जब मुझे लोगों को जवाब देना पड़ता है कि हमारे टैक्स ऐसे क्यों हैं। हम इसे और कम क्यों नहीं कर सकते।’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने अपना पैसा लगाया है। दुनिया ने जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन के लिए बहुत सारा पैसा देने का वादा किया था, लेकिन वह पैसा अभी तक नहीं आया है। यह और बात है कि भारत ने इंतजार नहीं किया। पेरिस में जो वादा किया गया था, उसे हमने अपने पैसे से पूरा किया है।’ वित्त मंत्री बोलीं कि टैक्स से रिन्यूएबल एनर्जी और इनोवेशन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को फंड मिलता है।
बजट में कई प्रस्तावों के लिए हुई थी आलोचना
यह जिक्र करना जरूरी है कि कि कैपिटल गेन्स टैक्स व्यवस्था में बदलाव और इंडेक्सेशन के बेनिफिट हटाने के प्रस्ताव के लिए सीतारमण की आलोचना हुई थी। हालांकि, केंद्र ने अचल संपत्ति पर टैक्सेशन में कुछ छूट दी है। टैक्सपेयर्स को या तो इंडेक्सेशन के बिना 12.5 फीसदी की कम दर या इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी की ऊंची दर का लाभ उठाने की अनुमति दी गई है। 23 जुलाई, 2024 को कट-ऑफ तारीख रखा गया है।
