कोरोना वैक्सीनेशन में हमारे देश में विदेशी मॉडल को तवज़्ज़ो देकर पहले 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों और 45 वर्ष से अधिक आयु के कोमोरबिटी वर्ग के नागरिकों को वैक्सीन लगाने का कार्य किया जा रहा है। प्रश्न है कि क्या ये विदेशी मॉडल भारत की 132 करोड़ की जनसंख्या पर कारगर साबित होगा ? 16 जनवरी से आरम्भ किये गए टीकाकरण में अब तक देश में लगभग 4 करोड़ लोगों को टीका लग चुका है। शुरू की धीमी रफ्तार अब 30 लाख लोग प्रतिदिन की रफ्तार पकड़ चुकी है। टीकाकरण आरम्भ हुए 2 माह हो चुके हैं और इसी समय कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी है। अक्सर भारत में हम समय रहते योजनाओं की चिंता नहीं करते बल्कि स्थिति बिगड़ने पर चिंता करते हैं। आज जरूरत है वैक्सीनेशन की व्यवस्था पर दुबारा विचार करने की। हमारे कुछ सुझाव हैं जिन्हें यदि हम लागू करें तो त्वरित और बेहतर परिणाम मिल सकते हैं ,जैसे :-
1विशेष संक्रमित क्षेत्रों जैसे महाराष्ट्र के नगर मुम्बई,पुणे,नागपुर,अमरावती,मध्यप्रदेश के भोपाल,इंदौर छत्तीसगढ़ के रायपुर दुर्ग में टीकाकारण के लिए आयुसीमा खत्म कर 18 वर्ष से अधिक आयु के शतप्रतिशत लोगों को वेक्सीन दी जाए।
2 पूरे देश में सभी निजी अस्पतालों को टीकाकरण के लिए अनुमति दी जाए व स्पष्ट प्रोटोकॉल दिया जाए।
3 सरकारी टीकाकरण केंद्रों की संख्या तत्काल बढ़ाई जाए और वहां दो शिफ्ट में सुबह 8 से दोपहर 3 बजे तक एक टीम व दोपहर 3 से रात 8 बजे तक दूसरी टीम तैनात की जावे।
4 मोबाइल वैक्सीनेशन यूनिट्स बनाकर शालाओं व महाविद्यालयों,रिहायशी कॉलोनीज में विशेष टीकाकरण शिविर लगाए जाएं और वहां एक एम्बुलेंस रखी जाए।
5 भारत सरकार विशेष विमानों व हेलिकॉप्टर्स से वैक्सीन की आपूर्ति निरन्तर रखी जावे ।किसी स्थान की अतिरिक्त वैक्सीन को स्थानांतरित किया जावे।
जिस देश में हम रह रहे हैं वहां जब चुनाव में एक दिन में हम 20 करोड़ लोगों से मतदान करवा सकते हैं तो अगर इसी व्यवस्था को 50 प्रतिशत भी लागू करें तो एक दिन में 10 करोड़ टीके लगवाने के लक्ष्य कोई दिवास्वप्न नहीं है।
याद रहे कि आज कोरोना टीकाकरण के लिए गति याने स्पीड ज्यादा जरूरी है क्योंकि देश की आखिरी पंक्ति के टीकाकरण के 28 दिन बाद के भी दो हफ्ते बाद याने पहला डोज़ लेने के 6 हफ्ते (डेढ़ माह) बाद ही परिणाम मिलेंगे। इसलिए अगर आज से भी गति लाई जाए तो सुरक्षित स्थिति जून तक ही प्राप्त हो पाएगी। जागिये सरकार।