रायगढ़, 20 मार्च। सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण के मामले में आखिरकार वन विभाग ने अपने वनपाल को बचा ही लिया। जांच में वन भूमि में भी अतिक्रमण की बात साबित होने के बाद विभाग ने पीओआर जरूर किया है मगर उसमें बलि का बकरा किसी और को बना दिया गया है। हालांकि जांच उपरांत अवैध निर्माण को तोड़ दिया गया है।
कोरियादादर क्षेत्र वन विभाग के लिए हमेशा से ही परेशानी का सबब बना रहा है। विभाग के अधिकारियों की ही लापरवाही के कारण वनभूमि में पूरी की पूरी बस्ती बस चुकी है और विभाग सिवाय मौन धारण किये कुछ कर नहीं पा रहा है। इसी बीच गुरूवार को यहां कक्ष क्रमांक 967 में वनभूमि से लगकर राजस्व की भूमि में अवैध कब्जा कर की शिकायत मिलने के बाद विभागीय अधिकारियों की परेशानी और भी बढ़ गयी क्योंकि इस बार अवैध कब्जा करने वाला कोई और नहीं बल्कि महिला वनपाल व इंदिरा विहार उद्यान की प्रभारी थी। शिकायत तो यह मिली थी कि वनपाल फॉरेस्ट व राजस्व की भूमि में कब्जा कर अवैध मकान का निर्माण कर रही है और इंदिरा विहार में बनने वाले चैन फेसिंग के लिए लाये गये छड़ व सीमेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीओ के निर्देश पर मामले की जांच करने के लिए रायगढ़ रेंजर आरके साहू मौके पर गये। वहां उन्होंने निर्माण कार्य में लगे मिस्त्री व अन्य मजदूरों से पूछताछ की जिसमें मिस्त्री द्वारा उक्त निर्माण सामग्री इंदिरा विहार से लाये जाने की बात कबूली मगर चूंकि मामला विभागीय कर्मचारी का था, ऐसे में मामले में गंभीरता से जांच व कार्रवाई करने की बजाये इस पूरे पर लीपापोती करने का खेल शुरू हो गया। जांच के लिए मौके पर पहुंचे रेंजर पहले तो वन भूमि में कब्जा नहीं होने की बात कहते हुए कार्रवाई करने से बचते रहे और निर्माण सामग्रियों पर भी उन्हें क्लीन चिट दे दी क्योंकि इससे विभाग लपेटे में आ जाता मगर आज जब डिप्टी रेंजर राजकुमार सारथी के नेतृत्व में फॉरेस्ट की टीम जांच के लिए मौके पर पहुंची और जमीन की नापजोख शुरू की तो वन भूमि में भी अतिक्रमण की बात सामने आ गयी। दरअसल, वनपाल द्वारा अवैध कब्जा कर 1135 स्क्वायर फुट की जमीन पर निर्माण कराया जा रहा था और उससे लगे फॉरेस्ट की कोसाबाड़ी की जमीन पर भी अतिक्रमण कर लिया गया था। जांच में इस बात की पुष्टि होने के बाद डिप्टी रेंजर की मौजूदगी में ही पूरे निर्माण कार्य को ढहा दिया गया है।
पूरा मामला इंदिरा विहार प्रभारी व महिला वनपाल से जुड़ा हुआ है। अवैध कब्जा कर निर्माण भी उन्हीं के द्वारा कराया जा रहा था। गुरूवार को जांच करने गई फॉरेस्ट की टीम के समक्ष भी उनका नाम सामने आया था मगर चूंकि वनभूमि में कब्जे की बात सामने आ गयी और मामला अति संवेदनशील हो गया। ऐसे में विभागीय कर्मचारी को बचाने के लिए कार्रवाई के नाम पर खेल कर दिया गया। विभाग ने इस मामले में पीओआर जरूर दर्ज किया मगर वनपाल की जगह उनके पति सुनील शर्मा के खिलाफ प्रकरण बना दिया गया है।
डिप्टी रेंजर राजकुमार सारथी का कहना है कि सरकारी जमीन के अलावा फॉरेस्ट के कोसाबाड़ी की जमीन पर भी अतिक्रमण पाया गया जिस पर निर्माणकर्ता सुनील शर्मा के खिलाफ पीओआर दर्ज करते हुए अवैध निर्माण को तोडऩे की कार्रवाई की गई है।