भाटापारा, 16 मार्च। साथ छोड़ते बोर। सूखते तालाब। निस्तार का गहराता संकट। पानी के उठती मांग के बीच राहत की खबर। गंगरेल बांध से पानी दिए जाने का विचार अंतिम चरण में पहुंचता दिखाई देने लगा है। सब कुछ सही रहा तो यह पानी आने वाले अप्रैल माह के पहले पखवाड़े में नहरों के जरिए तालाबों में पहुंचता दिखाई दे सकता है।
शायद यह पहला साल होगा, जब मार्च के पहले ही सप्ताह में बोर के पानी की धार पतली होने लगी थी। मध्य मार्च के आते-आते यह पानी नहीं बल्कि गर्म हवा देता नजर आने लगा है। उधर तालाबों का हाल अच्छा दिखाई नहीं देता क्योंकि पानी, किनारा छोड़ता नजर आने लगा है। निस्तार की उठती समस्या को देखते हुए अब तालाबों को भरे जाने की मांग भाटापारा शाखा नहर संभाग मुख्यालय तक पहुंच चुकी है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रबंधन ने गंगरेल बांध प्रबंधन के पास गुहार लगाई है। जैसे जवाब मिले हैं उसे देखते हुए उम्मीद को बल मिल चुका है।
फैल रहा संकट
ग्रामीण क्षेत्रों में सबमर्सिबल पंप तेजी से बंद होने लगे हैं तो तालाबों का सूखना भी चालू हो चुका है। यह संकट अब शहरी क्षेत्र में भी दस्तक दे चुका है। शहर में नगर पालिका के बोर से निकल रहे पानी की धार पतली होने लगी है तो घरों में लगे पंप भी साथ छोड़ते नजर आ रहे हैं। तालाबों का हाल वैसे भी पहले से ही बेहद खराब है। किनारा छोड़ते पानी को बचाकर या सहेज कर रखने की योजनाएं दम तोड़ चुकी हैं।
ये अभी भी मौन
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी का जिला मुख्यालय इन सभी से बेखबर, यही रट अभी भी लगाए हुए हैं कि सब कुछ सही हैं और भूजल स्तर 27 मीटर के आस-पास है लेकिन मैदानी तस्वीर में यह दावा तब फेल होता नजर आता है जब 250 फीट की गहराई तक में पानी का नहीं मिलना प्रमाणित होता है। विभाग की नजर में संकट के लिए अभी भी किसान ही जिम्मेदार हैं। आबादी क्षेत्र से लगे, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग की नजर से दूर हैं, जो 24 घंटे गहराई से भूजल का असीमित दोहन कर रहे हैं।
बहुत जल्द गंगरेल से पानी
गिरते भू-जल और सूखते तालाबों के बाद उठती निस्तारी पानी की मांग को देखते हुए भाटापारा शाखा नहर संभाग, गंगरेल बांध प्रबंधन से संपर्क साध कर बांध के गेट खोले जाने का आग्रह कर चुका है। योजना के मुताबिक नहरों में पानी आने के बाद, शाखा नहरों के माध्यम से निस्तारी तालाबों को भरा जाएगा। इससे भू-जल स्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी और निस्तार की समस्या भी दूर की जा सकेगी। अब अंतिम स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है।
भाटापारा शाखा नहर संभाग, तिल्दा के एसडीओ के.के. खरे ने इस बारे में कहा कि भू-जल स्तर के गिरने और तालाबों के सूखने की जानकारी मिल चुकी है। गांवों की मांग के बाद योजना का प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा जा चुका है। मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है।