नई दिल्ली:- दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ मेला संपन्न हो गया है. इसके बाद अति महत्वपूर्ण चारधाम यात्रा भी जल्द ही शुरू हो जाएगी.भक्तगण ऊंचे पहाड़ों, पहाड़ियों और नदियों के पार की यात्रा को पवित्र मानते हैं. हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का बहुत महत्व है. हर व्यक्ति अपने जीवन में कम से कम एक बार चार धाम यात्रा करने की इच्छा रखता है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस तीर्थ यात्रा को करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. हर साल लाखों श्रद्धालु चार धाम यात्रा पर जाते हैं. चार धाम यात्रा क्या है? कौन से क्षेत्र इसमें शामिल हैं? यात्रा कब शुरू होगी? आइए जानें तीर्थयात्रा के दौरान कौन से पर्यटन स्थल आकर्षक हैं…
चार धाम यात्रा क्या है?: उत्तराखंड में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को सामूहिक रूप से चार धाम यात्रा कहा जाता है. इस तीर्थयात्रा के भाग के रूप में भक्तगण इन चार पवित्र स्थलों की यात्रा करते हैं. देश भर से करोड़ों श्रद्धालु इस तीर्थयात्रा में भाग लेते हैं और आध्यात्मिक दुनिया में डूब जाते हैं.
यात्रा कब शुरू होती है?: चार धाम यात्रा की तारीखों की घोषणा हर साल महाशिवरात्रि के दौरान की जाती है. इस पृष्ठभूमि में बुधवार को घोषणा की गई कि केदारनाथ मंदिर 2 मई को सुबह 7 बजे खुलेगा. बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ विजय प्रसाद तपीलाल ने कहा कि बद्रीनाथ मंदिर 4 मई को खोला जाएगा. यह भी स्पष्ट किया जा रहा है कि अक्षय तृतीया के उपलक्ष्य में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर 30 अप्रैल को खुलेंगे.
यमुनोत्री धाम: यमुनोत्री चार धाम यात्रा के दौरान दर्शनीय पहला तीर्थ स्थल है. यह यमुना नदी के स्तर से 3,293 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहां रैथल, बार्सू, उत्तरकाशी, हनुमान चट्टी, जानकी चट्टी, खरसाली, बड़कोट और दियारा बुग्याल जैसी जगहें देखने लायक हैं.
गंगोत्री धाम: गंगोत्री धाम चार धाम यात्रा में दूसरा तीर्थ स्थल है. यह गंगा नदी के स्तर से 3,100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. आप भागीरथी हिल्स, डोडी ताल, केदार ताल, गंगोत्री मंदिर, गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान, गोमुख तपोवन ट्रेक, केदार ताल ट्रेक की यात्रा कर सकते हैं.
केदारनाथ धाम: केदारनाथ मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर मंदाकिनी नदी के स्तर से 3,583 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. आप गांधी सरोवर, सूर्य प्रयाग, गौरीकुंड मंदिर, वासुकी ताल, शंकराचार्य समाधि, भैरवनाथ मंदिर, रुद्र गुहा की यात्रा कर सकते हैं.
बद्रीनाथ मंदिर: चार धाम यात्रा में अंतिम मंदिर बद्रीनाथ मंदिर है. यह अलकनंदा नदी के स्तर से 3,133 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. भक्तों का मानना है कि भगवान विष्णु ने यहां बदरी वृक्ष के नीचे ध्यान किया था. तीर्थयात्रा के दौरान आप वसुधारा जलप्रपात, नारद कुंड, सतोपंत ट्रेक, हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी की यात्रा कर सकते हैं.
चार धाम यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय कब है?: भक्तजन चार धाम यात्रा के लिए मई-जून या सितम्बर-अक्टूबर के महीनों को सबसे अच्छा समय मानते हैं. इस अवधि के दौरान मौसम पर्यटकों के लिए अनुकूल होता है. जुलाई और अगस्त के महीनों में भारी बारिश की संभावना है. परिणामस्वरूप, भूस्खलन और बाढ़ का खतरा बना रहता है. भारी बर्फबारी के कारण मंदिर नवंबर से अप्रैल के बीच कुछ महीनों के लिए बंद रहता है.
पंजीकरण प्रक्रिया क्या है?: चार धाम यात्रा में भाग लेने के लिए भक्तों को पहले से पंजीकरण कराना होगा. इसके लिए आपको अपना आधार कार्ड या सरकार द्वारा जारी पहचान पत्र, फोटोग्राफ और मेडिकल प्रमाण पत्र जमा करना होगा.
ऑनलाइन पंजीकरण: चार धाम यात्रा में भाग लेने के लिए उत्तराखंड पर्यटन या चार धाम यात्रा पोर्टल पर जाना होगा. आपको व्यक्तिगत जानकारी और दस्तावेज जमा करके इस वेबसाइट पर भी पंजीकरण करना चाहिए.
ऑन-साइट पंजीकरण: जो लोग ऑनलाइन पंजीकरण करने में असमर्थ हैं, उनके लिए ऑन-साइट पंजीकरण भी स्वीकार किया जाता है. इसके लिए हरिद्वार और ऋषिकेश समेत यात्रा के अन्य चार प्रारंभिक पड़ावों पर पंजीकरण किया जाएगा.