नई दिल्ली:– सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने इन कानूनों पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर विचार करने का फैसला किया। कोर्ट ने संबंधित राज्य सरकारों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है और अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद निर्धारित की है।
इससे पहले जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण निषेध कानून 2024 की कुछ धाराओं को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया था। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने नोटिस जारी कर याचिका को अन्य लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ा था।
याचिका लखनऊ की शिक्षाविद रूप रेखा वर्मा और अन्य ने दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यूपी के कानून की धाराएं अस्पष्ट और जटिल हैं, जिससे अपराध की परिभाषा समझना मुश्किल है। इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धर्म प्रचार के अधिकार प्रभावित हो रहे हैं।