रायपुर :- छत्तीसगढ़ में चल रही बीजेपी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार विपक्ष के लिए एक बड़ा हथियार बन गया है. वहीं सत्ता पक्ष के लिए हर बार जवाब देना चुनौती बनता जा रहा है. 15 अगस्त से पहले ये माना जा रहा था कि छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा. दरअसल इसकी शुरुआत छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दिल्ली दौरे के बाद ज्यादा तेज हो गई थी. 2 अगस्त को जब वो दिल्ली से लौटकर आए तो कहा था कि आप इंतजार करिए मंत्रिमंडल विस्तार जल्द होगा.
डिप्टी सीएम ने भी दिए थे संकेत : छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की चल रही सरकार के दूसरे मुखिया उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कवर्धा और बस्तर में ये बयान दिया था कि मंत्रिमंडल विस्तार मुख्यमंत्री जी का विशेषाधिकार है लेकिन मैं यह जरूर कहूंगा कि बहुत जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा. अब विपक्ष इस बात को लेकर सवाल उठा रहा है कि शिक्षा मंत्री है नहीं और विभाग काम कर नहीं रहा है.
खाली है शिक्षा मंत्री का पद, बदहाल है विभाग : मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों में विपक्ष के आरोप का वो उत्तर भी छिपा हुआ है जिसका जवाब छत्तीसगढ़ की जनता को लगातार देने की बात कांग्रेस पार्टी बीजेपी सरकार से कर रही है. दरअसल शिक्षा मंत्री का पद बहुत दिनों से खाली है. शिक्षा विभाग को लेकर पूरे राज्य में अव्यवस्था का आलम है. बात चाहे किताबों की करें या फिर अध्यापकों की, प्रधानाचार्य की करें या फिर हेड मास्टर की. किसी भी सवाल का जवाब साफ तौर पर शिक्षा विभाग से नहीं मिल रहा है. वजह बिल्कुल साफ है बृजमोहन अग्रवाल के रायपुर से सांसद बन जाने के बाद शिक्षा मंत्री का पद मुख्यमंत्री के पास है.वहीं शिक्षा व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री से जो उत्तर मिल रहा है उस पर विपक्ष प्रहार कर रहा है.
शिक्षा सत्र पर सवाल : दिसम्बर 2023 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद बृजमोहन अग्रवाल मंत्री बने थे. उसके बाद हुए लोग सभा चुनाव में जीत कर वे सांसद बन गए और पद छोड़ दिया. मुख्यमंत्री के पास शिक्षा विभाग है. वर्तमान समय में चल रहे शिक्षण सत्र में स्कूलों में किताबों का नहीं पहुंचना सरकार की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.
शिक्षा विभाग का बुरा हाल : किताबों के नहीं पहुंचने और सही ढंग से पढ़ाई नहीं होने को लेकर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता धनंजय ठाकुर ने कहा कि शिक्षा विभाग का जितना बुरा हाल बीजेपी की सरकार ने बना दिया है इससे पहले कभी नहीं था. किताबें समय पर नहीं मिल रही है और उसे देखने वाला कोई नहीं है. भारतीय जनता पार्टी के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक इस बात को जानते हैं कि किताबें नहीं मिली है और वर्तमान का शिक्षा सत्र के 3 महीने हो गए. बड़ा सवाल यह है इस बात को उठाने की हिम्मत किसी में नहीं है क्योकि मुख्यमंत्री ही शिक्षा मंत्री हैं.
स्कूलों में बच्चे मांग रहे हैं किताब : धनंजय ठाकुर ने कहा कि पूरे राज्य में हालात ये है कि स्कूल के बच्चे किताब मांग रहे हैं और स्कूल के शिक्षक नई शिक्षा नीति के तहत बने नियम को लागू कैसे करें इसके लिए निर्देश मांग रहे हैं.धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि जब नई शिक्षा नीति राज्य में की गई है और एनसीईआरटी के सिलेबस को ही पढ़ना है, तो ऐसे में एससीईआरटी के सिलेबस के अनुसार 11वीं एवं 12वीं की पुस्तकों की छपाई करवाना था. सरकारी स्कूल में पुस्तकों का वितरण करना था, जो अब तक नहीं हुआ है.