रायपुर। चुनाव के समय नेताओं के जुबान को क्या हो जाता है? यह समझ के परे हैं, चुनाव आते ही कई नेता बेलगाम हो जाते हैं और अपने विपक्ष के नेताओं पर कुछ भी उन्होंने बयानबाजी करके सुर्खियां बटोरने का काम करते हैं। अगर सरगुजा की बात की जाए तो भरतपुर सोनहत से भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह को कंट्रोवर्सी क्वीन कहना गलत नहीं होगा। जब से वह सक्रिय राजनीति में आई हैं तब से लगातार अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रही हैं।
दरअसल, मनेन्द्रगढ़ में आज कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो ने सीएम भूपेश बघेल की मौजूदगी में गाना गाया, यह गाना भी बीजेपी प्रत्याशी रेणुका सिंह के बाहरी होने को लेकर गाया गया था। केल्हारी की सभा में गुलाब कमरों ने कहा, तुम तो ठहरे परदेशी साथ क्या निभाओगे…17 तारीख के बाद तुम तो दिल्ली चले जाओगे । वहीं सीएम भूपेश बघेल ने रेणुका सिंह के हाथ काटने वाले बयान पर कहा कि इनको हिंसा में विश्वास है हम लोग नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने वालो में है हिंसा पर विश्वास नहीं करते।
राज्य की राजनीति में सक्रिय होते ही फिर से वह अपने पहले रंग में दिख रही हैं, कोरिया जिले के भरतपुर सुनहट से विधानसभा का टिकट मिलने के बाद हुए लगातार विवादित बयानों से सुर्खियां बटोर रही हैं, यही वजह है कि अभी निर्वाचन आयोग इनको कई नोटिस भी थमा चुका है। कभी यह सोनिया गांधी को धक्का मार कर इटली भेजने की बात करती हैं तो कभी विपक्ष पार्टियों के कार्यकर्ताओं का हाथ काटने का दावा करती हैं।
भरे मंच से अपनी आदतों परिचय देते हुए रेणुका सिंह ने कहती हैं कि अधिकारियों को प्रेशर डालकर काम करवाया गया, जो नहीं दिया, रातों रात ट्रांसफर कर दिया गया, विधायक डरा हुआ है हमारे कार्यकर्ताओं को परेशान करेंगे। केल्हारी के कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रेणुका सिंह ने कार्यकर्ताओं को कहा आप 56 इंच वाले मोदी जी के दल के कार्यकर्ता हैं किसी से डरने घबराने की जरूरत नहीं है। पुलिस वाले आकर रास्ता रोकना चाहे तो जो सीमा पार करना चाहते हैं सीमा पार करिए, क्योंकि जब मैं मंडल अध्यक्ष थी मेरे ऊपर 12 केस लगे थे। 200 धाराएं लगी थी। मैं वो नेता हूं कि जो मेरे कार्यकर्ता की एक उंगली काटेगा तो मैं उसका एक हाथ काटकर दूसरे हाथ मे देना जानती हूं।
भरतपुर सोनहत से रेणुका सिंह को टिकट देकर भाजपा अपने निर्णय पर पश्चाताप कर रही होगी क्योंकि रेणुका सिंह भटगांव की निवासी हैं, ऐसे में इन पर यहां बाहरी प्रत्याशी की तमगा पहले से ही लगा हुआ है। रेणुका सिंह के लिए इससे बुरी खबर क्या होगी कि भरतपुर से भाजपा की पूर्व विधायक भी रेणुका सिंह का साथ नहीं दे रही है, ऐसे में रेणुका सिंह का जीतना मुश्किल लग रहा है। इसके अलावा स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता पहले भी कह चुके हैं कि उन्हे बाहरी प्रत्याशी थोप दिया गया है, जिसके लिए हम काम नहीं करेंगे।
रेणुका सिंह का विवादों से काफी पुराना नाता है, जब वह पहली बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंची और उन्हें महिला बाल विकास मंत्रालय का जिम्मा दिया गया तब उन पर एक चैनल के पत्रकार को बंधक बनाकर मारपीट का मामला सामने आया था, उसके बाद अधिकारियों के साथ बदतमीजी तो आम बात हो गई थी। इतना ही नहीं उनके पति-पत्नी का विवाद भी टीवी चैनलों की शोभा बढ़ा रहा था, ऐसे कई विवादों में उलझे रहने के बाद आखिरकार 2013 में विधानसभा चुनाव में उन्हें हर का मुंह देखना पड़ा।
इसके 2017 में जब भाजपा ने उन पर एक बार और भरोसा जताते हुए संसद का टिकट दिया और जीतने के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री के ओहदे से नवाजा तो फिर से एक बार वह सुर्खियों में आईं और एक अधिकारी को सरे आम कमरे में बंद कर बेल्ट से मारने की बात कही थी। बताया जाता है कि केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा फटकार के बाद यह कई सालों तक शांत रही।
बीते दिनों भरतपुर सोनहत से प्रत्याशी रेणुका सिंह को जिला निर्वाचन अधिकारी ने नोटिस जारी किया था, दरअसल केन्द्रीय राज्य मंत्री व भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता उल्लंघन करते हुए तय सीमा से ज्यादा गाड़ियों के साथ चुनाव प्रचार किया था। रेणुका सिंह ने सोनहत क्षेत्र में बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ जनसंपर्क किया था। इस दौरान उनके काफिले में 40 से अधिक गाड़ियां थी। इतनी बड़ी संख्या में गाड़ियों के साथ चुनाव प्रचार की सूचना व पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी। भतरपुर सोनहत से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद रेणुका सिंह 15 अक्टूबर को बड़ी तादाद में लोगों के साथ पहुंची थी। एक बाद एक लगातार नोटिस चुनाव आयोग देता है लेकिन रेणुका सिंह को नोटिस की कोई परवाह नहीं रहती।