शीत युद्ध के दौर में रूस और अमेरिका के बीच इंसान को सबसे पहले चांद पर उतारने की होड़ थी. लेकिन आज बात इससे आगे बढ़ गई है. अब रेस इस बात की है कि कौन सबसे पहले चांद पर अपना बेस बना सकता है, जिससे मनुष्य वहां पर रह भी सके और उसका फायदा उठा सके. इस सब के बीच एक सवाल खड़ा होता है कि आखिर पृथ्वी के इंसानों के लिए लाखों किलोमीटर दूर चांद पर बस्ती बनाने से क्या फायदा होगा.
नासा के अपोलो मिशन के जरिए 1969 में पहली बार किसी इंसान ने चांद पर कदम रखा था. 50 साल बाद, स्थिति ऐसी है कि निजी कंपनियां भी लूनर मिशन लाॅन्च कर रही है. बीते दिनों इंटूइटिव मशीन्स नाम की निजी अमेरिकी कंपनी ने चांद की सतह पर अपना मून लैंडर उतारकर इतिहास रचा था. इससे पहले जापान ने भी अंतरिक्ष यान की सफल लैंडिंग कर रिकाॅर्ड बनाया था.
चलिए जानते हैं कि चांद पर कब तक बेस बनाने के लिए कौन-सा देश कितना तैयार है और इससे क्या-क्या फायदा होगा.
चांद पर है संसाधनों का भंडारहाल में चांद पर लोहा, टाइटेनियम और अन्य काम के तत्वों की मौजूदगी का पता चला है. दावा किया जाता है कि यहां ऐसे बहुमूल्य खनिज का भंडार हो सकता है, जो पृथ्वी पर दुर्लभ मात्रा में ही पाए जाते हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि कई देश और कंपनियां इन संसाधनों के लिए चांद पर बस्ती बसाने के लिए इतनी आतुर है. चांद पर उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल किया जा सके, इसके लिए कई देशों ने अमेरिका के साथ आर्टेमिस समझौता भी कर लिया है.
समझौते का लक्ष्य चांद पर आपसी सहयोग से बेस कैंप बनाना और संसाधनों की खोज करना है. फरवरी 2024 तक भारत, कनाडा समेत समझौते पर हस्ताक्षर करने की संख्या 36 पहुंच चुकी है.मार्स मिशन में आएगी तेजीएलन मस्क ने पिछले दिनों कहा था कि वह एक ऐसी कार्य योजना तैयार कर रहे हैं, जिससे दस लाख लोगों को पृथ्वी से मंगल ग्रह पर ले जाया जाएगा.
हालांकि, मंगल गृह पर जाने से पहले चांद को फतह करना होगा. कई लोग चांद के बेस को एक तरह के प्रेक्टिस ग्राउंड के रूप में देखते हैं. अगर इंसान चांद पर बेस बनाने में कामयाब होते हैं तो इससे मंगल गृह के मिशन में भी तेजी आएगी. दरअसल, चंद्रमा पर जाना और वहां लंबे समय तक रहने से यह समझने में मदद मिलेगी कि इंसानी शरीर दूसरे खगोलीय पिंड के गुरुत्वाकर्षण और वातावरण में कैसा रिएक्ट करता है.
इससे हम बेहतर ढंग से समझ पाएंगे हैं कि मार्स जैसे किसी खगोलीय पिंड पर रहने से हमारे स्वास्थ्य, नींद और मनोविज्ञान पर क्या प्रभाव पड़ता है. वैज्ञानिकों की राय है कि चांद को बेस बना कर वहां से मंगल गृह के लिए अंतरिक्षयान भी भेजे जा सकते हैं.बाकी स्पेस मिशन और नए उद्योगों को मिलेगा बढ़ावाचांद पर बेस बनाने से अंतरिक्ष के बाकी मिशन को भी फायदा होगा.
चांद का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी की तुलना में कम ताकतवर होता है. इसका फायदा रॉकेट को लाॅन्च करने में उठाया जा सकता है. दरअसल, पृथ्वी से रॉकेट को लाॅन्च करना काफी महंगा होता है क्योंकि चांद की तुलना में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने के लिए काफी ज्यादा ईंधन खर्च होता है. अगर चांद पर बेस बन जाता है तो वहां से रॉकेट लाॅन्च ज्यादा फायदेमंद होगा.लूनर बेस और स्पेस मिशन से नए उद्योगों को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ नौकरियों के अवसर भी बनेंगे. नासा की रिपोर्ट के अनुसार, ‘मून टू मार्स’ कार्यक्रम से स्थानीय के साथ-साथ राज्य अर्थव्यवस्थाओं को व्यापक लाभ होगा. इससे हजारों नई नौकरियां बनेगी. इसके अलावा, देश के राजस्व में अनुमानित 1.5 बिलियन डाॅलर का इजाफा भी होगा.Moon Base Nasaलूनर बेस से नए नौकरियों के अवसर बनेंगे.
कब तक बन जाएगा मानव बेस?हाल ही में भारत, जापान समेत कई देशों ने चांद पर अपने मिशन भेजे हैं. लेकिन इनमें से कई मिशन अपने लक्ष्य को पूरा करने में असफल रहे. भले ही 1969 में इंसान चांद पर पहुंच गया था, लेकिन उसके 5 दशक बाद भी चंद्रमा पर मिशन भेजना इतना आसान नहीं हुआ है. चांद पर बेस यानि अड्डा बनाने की बात करें, तो इस रेस में फिलहाल सबसे आगे अमेरिका चल रहा है. अमेरिका का प्लान है कि 2030 के आसपास तक चंद्रमा पर एक स्थायी मानव चौकी स्थापित हो जाए. लेकिन इस मिशन में पहले ही देर हो गई है.
