नई दिल्ली:- वर्तमान में पेंशन का लाभ पाने के लिए कई स्कीम मौजूद है। इन स्कीम में एक नेशनल पेंशन स्कीम भी है। इसमें निवेश राशि के मैच्योर हो जाने के बाद निवेशक को पेंशन का लाभ मिलता है।अगर आप भी एनपीएस में निवेश करते हैं यानि कि आपके पास एनपीएस अकाउंट है तो बता दें कि आज से एनपीएस अकाउंट पर लगने वाले PoP चार्ज स्ट्रक्चर में बदलाव हुआ है।
पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलेपमेंट अथॉरिटी जो कि एनपीएस को रेग्युलेट करती है उन्होंने प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस के चार्ज स्ट्रक्चर में बदलाव किया है। प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस चार्ज से जुड़े नियमों में हुए बदलाव को लेकर पीएफआरडीए ने सर्कुलर जारी किया है।
एनपीएस अकाउंट सुचारू रूप से चले इसकी जिम्मेदारी PoP की होती है। PoP की नियुक्ति पीएफआरडीए ही करता है। PoP एक तरह का नेटवर्क है। इस नेटवर्क के जरिये कस्टमर और एनपीएस आपस में कनेक्ट होते हैं। PoP अपनी सर्विस को देने के लिए फीस लेता है। PoP के चार्ज की कोई लिमिट नहीं होती है। हालांकि, अब इसके चार्ज की मिनिमम और मैक्सिमम लिमिट तय हो गई है।
जब कोई निवेशक पहली बार एनपीएस में रजिस्ट्रेशन करता है तो उसे 200 से 400 रुपये तक का PoP देना होगा। इसके बाद निवेशक को 0.50 फीसदी का कंट्रीब्यूशन देना होगा। यह चार्ज 30 से 25 हजार रुपये के बीच ही रहता है। इसके अलावा सभी नॉन-फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन पर 30 रुपये का चार्ज लगता है।
एनपीएस स्कीम टैक्स सेविंग स्कीम है। इसमें 60 साल की उम्र के बाद निवेशक को निवेश की गई राशि का एक हिस्सा मिलता है और दूसरा हिस्सा पेंशन के तौर पर मिलता है।