नई दिल्ली :- आपके झुकने में दिक्कत पेश आने की मुख्य वजह पीठ और कमर में तेज दर्द होता है। इसके कारण लोग झुक कर साफ-सफाई और रोजमर्रा के दूसरे काम नहीं कर पाते हैँ। इसके चलते कई बार शारीरिक सक्रियता भी कम हो जाती है। देखा जाए तो इसके पीछे व्यवहारिक और शारीरिक दोनों ही वजहें हो सकती हैं। जैसे कि बैठने की गलत पोजीशन के कारण अक्सर कमर दर्द की समस्या पेश आती है, जिसके कारण झुकने में दिक्कत महसूस होती है।
वहीं मोटापे की वजह से भी लोगों को झुकने में समस्या पेश आती है। खासकर अगर पेट और कमर के पास बढ़ी हुए चर्बी के कारण लोगों को झुकने में दिक्कत पेश आ सकती हैं। इनके अलावा कई बार इसके पीछे कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी जिम्मेदार होती हैं। चलिए इन समस्याओं के बारे में भी जान लेते हैं।हर्नियेटेड डिस्क, रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्या है। इसमें दबाव या आघात के कारण डिस्क का तरल पदार्थ बाहर निकलकर आसपास की नसों पर दबाव डालता है। ऐसे में पीठ के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को झुकने और बैठने में तेज दर्द महसूस होता है।
मांसपेशियों में खिंचाव
रीढ़ के चारों तरफ मांसपेशियों का एक जटिल नेटवर्क होता है जो इसे अतिरिक्त सहायता प्रदान करता है। ऐसे में अगर इन मांसपेशियों में खिंचाव आ जाए तो इसकी वजह से कमर में तेज दर्द होता है। जैसे कि अचानक से देर तक गलत मुद्रा में बैठना, कोई भारी सामान उठाना या अचानक तेज खिंचाव के कारण मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो सकती है। ऐसी स्थिति में हिलने-डुलने या झुकने में तेज दर्द होता है, कई बार इसके कारण झुकना और बैठना मुश्किल हो जाता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस
ऑस्टियोआर्थराइटिस, गठिया का वो प्रकार है जिसमें खास तौर पीठ के निचला हिस्सा प्रभावित होता है। इसके कारण जोड़ों के बीच की उपास्थि टूट जाती है और हड्डी में दर्द के साथ सूजन की समस्या पेश आती है।इस तरह से देखा जाए तो झुकते वक्त दर्द महसूस होना रीढ़ की हड्डी और कमर की मांसपेशियों में आई किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। इसलिए समय रहते इसकी असल समस्या की पहचान और उपचार जरूरी है। इससे बचने के लिए कुछ सावधानियां बरती जा सकती हैं। जैसे कि.
अधिक देर तक बैठने के कारण ज्यादातर कमर और पीठ दर्द की समस्या पेश आती है, इसलिए ऐसा करने से बचें। लगातार एक ही मुद्रा में देर तक न बैठे।
अचानक झटके में कोई काम करने के कारण भी कमर की आस-पास की मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है। इसलिए बचाव के लिए बेहतर होगा कि झटके में उठने-बैठने या दूसरी शारीरिक गतिविधि से बचें।
मोटापे के कारण भी रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, इसलिए इससे बचाव के लिए वजन को नियंत्रित रखने का प्रयास करें।
शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण भी रीढ़ को सहारा देने वाली मुख्य मांसपेशियां कमजोर सकती हैं, जिससे झुकने पर दर्द महसूस हो सकता है। इसलिए इससे बचाव के लिए शारीरिक सक्रियता बेहद जरूरी है।
