नई दिल्ली :- कई बार उम्र के निशान त्वचा का सही तरह से ख्याल ना रखने पर और जीवनशैली की गलत आदतों के कारण भी चेहरे पर नजर आ सकते हैं. ऐसी ही एक दिक्कत है होंठों के आसपास लकीरें नजर आना. इन लकीरों को स्मोकर्स लाइंस लिप लाइंस या लिप रिंकल्स कहते हैं. अपने एक वीडियो में इस दिक्कत पर बात करते हुए डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. हिताशा ने होंठों के पास लकीरें आने की एक बड़ी वजह बताई है. डॉ. हिताशा का कहना है कि अगर आपके पानी पीने की बोतल स्ट्रॉ वाली यानी पाइप वाली है तो इससे स्मोकर्स लिप हो सकते हैं.
जब हम पाइप वाली बोतल से पानी पीते हैं तो इससे हमारे होंठ सिंकुड़ते हैं और जब यही प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाने लगती हो तो होंठों के चारों तरफ परमानेंट लाइंस पड़ने लगती हैं और झुर्रियां दिखना शुरू हो जाती हैं. ऐसे में हिताशा कहती हैं कि इन सिपर्स से पानी पीना आपको बूढ़ा बना रहा है. यह दिक्कत ना हो इसके लिए स्ट्रॉ वाले सिपर्स से पानी पीने के बजाए गिलास में या खुले मुंह की बोतल से पानी पिएं.
जिन लोगों को पहले से ही स्मोकर्स लिप्स की दिक्कत हो गई है वे डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह ले सकते हैं. इस दिक्कत से छुटकारा पाने के लिए आमतौर पर डर्मा फिलर्स, केमिकल पील, लेजर रिसर्फेसिंग, माइक्रोनीडलिंग, बोटॉक्स, प्लेटेलेट-रिच प्लाज्मा और डर्माब्रेजन जैसे ट्रीटमेंट्स लिए जाते हैं. डर्मा फिलर्स में इंजेक्शन से फिलर्स होंठों और आस-पास की त्वचा में भरे जाते हैं जिससे होंठ भरे-भरे दिखते हैं और झुर्रियां नजर नहीं आती हैं. केमिकल पील में स्किन की टॉप लेयर को हटाया जाता है जिससे स्किन जवां नजर आने लगती है. लेजर रिसर्फेसिंग में स्किन की टॉप लेयर हटाई जाती है जिससे स्किन टाइटनिंग इफेक्ट्स मिलते हैं. डर्माब्रेजन भी ऐसा ही एक प्रोसीजर है जो लाइट केमिकल पील जैसा असर दिखाता है. इसमें रोटेटिंग ब्रश की मदद से स्किन की टॉप लेयर हटाई जाती है.
जिससे स्किन टाइटनिंग इफेक्ट्स मिलते हैं. डर्माब्रेजन भी ऐसा ही एक प्रोसीजर है जो लाइट केमिकल पील जैसा असर दिखाता है. इसमें रोटेटिंग ब्रश की मदद से स्किन की टॉप लेयर हटाई जाती है. माइक्रोनीडलिंग में होंठों के आस-पास की फाइन लाइंस कम की जाती है जिसमें छोटी-छोटी सूईंया स्किन पर लगातार छेद करती हैं.
 
		