नई दिल्ली:– भागदौड़ भरी जिंदगी और ऑफिस में कंम्प्यूटर पर बैठे हुए लंबा काम व्यक्ति को बीमार कर देता है। ऑफिस के अलावा लोग फोन पर भी घंटों समय बिताते है जो नुकसानदायक साबित होता है। युवाओं में गर्दन और कंधे से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसके दर्द से निजात पाने के लिए लोग एक्सरसाइज और मालिश का सहारा लेते है लेकिन समस्या वहीं पर बनी रह जाती है।करवट लेने और हाथों को हिलाने तक में परेशानी होती है। इस स्थिति को फ्रोजन शोल्डर कहते हैं। आयुर्वेद में भी अवबाहुक शूल कहा गया है।
फ्रोजन शोल्डर के लक्षण
यहां पर फ्रोजन शोल्डर की समस्या यानि आयुर्वेद में अवबाहुक शूल को वात दोष और कफ दोष से जोड़ा गया है। कहा जाता है कि, जब शरीर में वात दोष और कफ दोष असंतुलित हो जाते हैं, तो मांसपेशियां और हड्डियों के जोड़ कमजोर होने लगते हैं और उनपर वसा का जमाव होने लगता है। इस स्थिति में आपको कई लक्षण नजर आते है जो इस बीमारी की स्थिति को बताते है।इस स्थिति में जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में जकड़न, कंधे से लेकर गर्दन में खिंचाव और ज्यादा खराब स्थिति में गर्दन का न मोड़ पाना शामिल है। अवबाहुक शूल के होने के कई कारण हैं, जैसे ज्यादा तला-भूना खाना, कम पानी पीना, ज्यादा मेहनत या भार उठाने वाला काम करना, ज्यादा समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहना, या ज्यादा समय तक पानी में रहना।
जानिए आयुर्वेद में समस्या से राहत पाने के तरीके
आयुर्वेद में इस समस्या अवबाहुक शूल से निजात पाने के कई तरीके बताए गए हैं। जिसे आप घर पर आसान तरीके से कर सकते है।
सबसे पहले बात करते हैं तेल और मालिश के जरिए दर्द से राहत पाने की। तिल का तेल, दशमूल तेल या बालाश्वगंधा तेल से खिंचाव होने वाले हिस्से पर मालिश कर सकते हैं। रोजाना सुबह 10 मिनट और शाम को 10 मिनट तक मालिश करें। इससे मांसपेशियों में रक्त संचार बढ़ेगा और दर्द और जकड़न में राहत मिलेगी।
इसके अलावा पट्टी स्वेदन कर सकते हैं। इसके लिए गर्म पट्टी का इस्तेमाल कर सकते हैं और भाप लगाकर तवे की सहायता से सेक सकते हैं।
कुछ औषधियों और घरेलू चीजों का सेवन कर भी राहत पाई जा सकती है, जैसे हल्दी वाला दूध, जो मांसपेशियों की जकड़न कम करेगा और दर्द से राहत मिलेगी।