नई दिल्ली :- बिगड़ी लाइफस्टाइल की वजह से मेंटल हेल्थ कई तरह से प्रभावित हो रहा है. पैनिक डिसऑर्डर या पैनिक अटैक भी एक तरह की मेंटल हेल्थ की समस्या है. इसमें इंसान अलग-अलग से सोचता रहता है. उसे बहुत ज्यादा डर, बेचैनी महसूस होती है. पैनिक अटैक से दिल की धड़कनें बढ़ जाती है, शरीर से ज्यादा पसीना निकलता है और कंपकंपी होती है. इतना ही नहीं पैनिक डिसऑर्डर में सांस लेने में भी परेशानी होती है. ऐसे में आइए जानते हैं ये समस्या कितनी खतरनाक हो सकती है, इसके लक्षण क्या हैं और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है.
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऐसे लोग जिनमें शक, गुस्सा और बात-बात में घबराने जैसी स्थिति होती है, उन्हें अक्सर ही मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम पैनिक डिसऑर्डर का खतरा रहता है. इसके अलावा बहुत ज्यादा कैफीन, शराब पीने वालों को भी यह समस्या रहती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्लड में शुगर की मात्रा कम होने से भी पैनिक डिसऑर्डर होने का जोखिम रहता है. कुछ लोगों में तो थायराइड ग्लैंड की ज्यादा सक्रियता और हार्ट प्रॉब्लम में भी पैनिक डिसऑर्डर देखने को मिलता है.
पैनिक डिसऑर्डर होने पर बहुत ज्यादा पसीना निकलता है.
घुटन महसूस होती है और शरीर में कंपकंपी छूटने लगती है.
सांस लेने में तकलीफ होने लगती है.
सीने और पेट में तेज दर्द और बैचेनी महसूस होती है.
अचानक से चक्कर आना और बेहोशी की समस्या होना.
खुद पर कंट्रोल न रहना, अजीब-अजीब से ख्याल आना
हर समय मरने का डर रहना
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पैनिक डिसऑर्डर या पैनिक अटैक से बचने के लिए हर दिन एक्सरसाइज और मेडिटेशन अनिवार्य रूप से करें. इससे मेंटल और फिजिकल हेल्थ बेहतर बनता है. हेल्दी डाइट को फॉलो करें और चाय-कॉफी या शराब से दूरी बनाएं. हर दिन अच्छी नींद पूरी करें और देर रात तक जागने से बचें. अगर घबराहट हो रही है तो गहीस सांस लेकिन मन से निगेटिव विचार को खत्म करें।