रायपुर:- सोमवार से छत्तीसगढ़ विधानसभा के मॉनसून सत्र की शुरुआत हंगामेदार रही. मंगलवार को भी सदन में विपक्ष ने कई मुद्दों पर सरकार को घेरा. सबसे ज्यादा जिस मुद्दे की पर विपक्ष का तीखा विरोध देखने को मिला. वह मुद्दा था अवैध रेत उत्खनन का मुद्दा. शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने इस मामले को लेकर स्थगन प्रस्ताव पेश किया और आरोप लगाया कि पूरे प्रदेश में रेत माफिया सक्रिय हैं, जो नदियों को छलनी कर रहे हैं और शासन-प्रशासन पूरी तरह मौन है.
कांग्रेस विधायक उमेश पटेल के आरोप: खरसिया विधायक उमेश पटेल ने सदन में कहा कि अवैध खनन को लेकर उन्होंने कई बार पत्राचार किया, लेकिन मंत्री से लेकर कलेक्टर तक कोई कार्रवाई नहीं कर रहे. वहीं भिलाई विधायक देवेंद्र यादव ने कहा कि बिना रॉयल्टी के रेत निकाली जा रही है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि विरोध करने पर ठेकेदार मारपीट पर उतारू हो जाते हैं.
भूपेश बघेल का तीखा हमला: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि रेत माफिया सरकार को अपनी जेब में रखकर काम कर रहे हैं. गुंडागर्दी के बल पर नदियों को खाली करने का षड्यंत्र चल रहा है. उन्होंने मांग की कि इस मुद्दे पर सदन में विस्तृत चर्चा करवाई जाए.
स्थगन प्रस्ताव नामंजूर, विपक्ष का वॉकआउट: इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने कहा कि स्थगन प्रस्ताव की सूचना नियमानुसार समय पर नहीं दी गई, इसलिए इस आग्रह को स्वीकार नहीं किया जाता है. अध्यक्ष के इस निर्णय के बाद विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया.विपक्षी विधायकों ने आरोप लगाया कि सरकार रेत माफियाओं को संरक्षण दे रही है, इसलिए कार्रवाई नहीं हो रही है.
2,000 से अधिक अवैध खनन स्थल का विपक्ष ने किया दावा: पत्रकारों से चर्चा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि रेत के मामले को लेकर स्थान प्रस्ताव लाया गया था. पूरे छत्तीसगढ़ में रेत माफिया को किसी का डर नहीं है. सत्ता का संरक्षण प्राप्त है. यही कारण है कि खुलेआम राजनांदगांव में गोलियां चल रही है, बलौदा बाजार में बंधक बनाए गए हैं, बलरामपुर में पुलिस के जवान पर गाड़ियां चढ़ा दी जा रही है.
भूपेश बघेल ने आगे कहा कि इस प्रकार की घटनाएं तेजी से प्रदेश में बढ़ रही है. साथ ही अवैध रेत खदानों की संख्या सैकड़ों में है और उसके तहत माफिया रेत की ढुलाई कर रहे हैं. रेत को अवैध रूप से डंप और परिवहन कर रहे हैं. इसकी ओवरलोडिंग कर रहे हैं. जिस आम उपभोक्ता को रेत चाहिए उन्हें रेत नहीं मिल पा रही है. उनस महंगी दर पर 20 हजार रुपये प्रति ट्रक की वसूली कर रहे हैं. कई गुना रेत की कीमत बढ़ा दी गई है. इस पूरे मसले पर सरकार का संरक्षण प्राप्त है. इसलिए सरकार चुप है.