भानुप्रतापपुर, 22 जनवरी । अवैध रेत उत्खनन को लेकर ठेकेदार व उसके कर्मचारी फिर एक बार सक्रिय दिखाई दे रहे है। काम शुरू करने से पहले ग्रामीण व कुछ लोगो को मान मनवौल के चक्कर मे ईधर-उधर घूम रहे है। वही कुछ राजनीतिक पार्टी भी रेत ठेकेदार सहयोग में नज़र आ रहे है।
विदित हो कि भानुप्रतापपुर एवं दुर्गुकोंदल ब्लाक अवैध रेत उत्खनन व भण्डार के लिए कांकेर जिले में सुर्खियों में बना रहा है। इस क्षेत्र में पूरे वर्ष रेत भण्डार व अवैध उत्खनन का काम चलता रहता है। हालकि हो हल्ला व समाचार प्रकाशन होने से कुछ दिनों विराम जरूर लग जाता है वही माहौल ठंडा होते देख भी रेत ठेकेदार व उनके एजेंट के द्वारा काम शुरू करने के लिए ग्रामीण व कुछ लोगो को अपने स्तर पर लालच दिखाते हुए मानने की कोशिश में लग जाते है।
अभी तक देखा जाए तो अवैध रेत उत्खनन को लेकर ठेकेदार व उनके एजेंटों के खिलाफ कोई बड़ा कार्यवाही खनिज विभाग के द्वारा नही किया गया है,जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अवैध रेत उत्खनन के कार्य मे खनिज विभाग का भी बड़ा हाथ है। जिला खनिज अधिकारी प्रमोद नायक न ही कभी फोन उठाते है और न ही अवैध रेत उत्खनन कर कार्यवाही की जाती है। विभाग का भरपूर सहयोग होने के कारण ठेकेदार अवैध रेत उत्खनन के कार्य को बेधड़क होकर अंजाम देने में लगे हुए है।
बता दे कि भानुप्रतापपुर व दुर्गुकोंदल नदी क्षेत्र के पास ही ठेकेदार के द्वारा रेत भंडारण की स्वीकृति होने कि बात कहते हुए भी मात्रा से अधिक भंडारण व परिवहन का काम किया जाता रहा है। चवेला घाट व चेमल व चिहरो इसके लिए प्रसिद्ध है।
इस क्षेत्र की बात करे तो यह कि रेत साफ व बारीक होने के कारण रेत की डिमांड दूर-दूर तक है याने प्रदेश व बाहर प्रदेश में आसानी से व अच्छी कीमत में आसानी से बिक जाते है, यही कारण है कि क्षेत्र से रेत परिवहन के कार्य में कई ठेकेदार काम करने के लिए लगे रहते है।
विदित हो कि रेत ठेकेदार को यह के राजनीतिक स्पोट व सहयोग मिलने से भी करीबी व चेहते ठेकेदारो को आसानी से काम मिल जाता है । गौरतलब हो कि भंडारण हो या फिर रेत परिवहन शासन के द्वारा रॉयल्टी निर्धारित की गई है, लेकिन ठेकेदार के द्वारा बिना रॉयल्टी व एक ही रायल्टी दस्तावेज के माध्यम से सैकड़ों ट्रिप रेत परिवहन कर शासन को मिलने वाले राशि का भी बंदरबांट किया जाता है।