मध्यप्रदेश:– मौसम बदलना हर किसी के लिए एक सामान्य प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन डायबिटिक मरीजों के लिए यह एक चुनौती बन जाती है। गर्मी से बरसात, या सर्दी से बसंत जैसे बदलाव शरीर के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करते हैं, जिससे ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव आ सकता है। बरसात में नमी, सर्दी में ठंड और गर्मियों में डिहाइड्रेशन, ये सभी कारक इंसुलिन की सेंसिटिविटी पर असर डालते हैं। इसके अलावा, मौसम के कारण खानपान, नींद, फिजिकल एक्टिविटी और मानसिक स्थिति में भी बदलाव आता है, जो डायबिटीज मैनेजमेंट को और मुश्किल बना देता है। ऐसे में जरूरी है कि मौसम के अनुसार शरीर को समझकर स्मार्ट फूड चॉइस, रेगुलर मॉनिटरिंग, हाइड्रेशन जैसी जरूरी बातों का ध्यान रखा जाए। खासकर मानसून में स्ट्रीट फूड से दूरी, साफ पानी का सेवन और पैरों की देखभाल बहुत जरूरी हो जाती है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे कुछ आसान और आदतें अपनाकर बदलते मौसम के बीच भी ब्लड शुगर को स्थिर और सेहत को बेहतर रखा जा सकता है।
बदलते मौसम और डायबिटीज में शारीरिक बदलाव का संबंध
बदलते मौसम जैसे- बारिश के दिनों में वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे शरीर की कार्यप्रणाली पर भी असर पड़ता है। डायबिटीज से जूझ रहे लोगों में इस मौसम में इंसुलिन की सेंसिटिविटी बदल सकती है, जिससे ब्लड शुगर लेवल अचानक बढ़ या घट सकता है। साथ ही, तापमान और मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण शरीर की एनर्जी जरूरतें भी बदलती हैं, जिससे डाइट और फिजिकल एक्टिविटी का सीधा असर ग्लूकोज कंट्रोल पर पड़ता है। इसके अलावा, मानसून में भूख का पैटर्न और नींद का समय भी गड़बड़ा सकता है, जो मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है। इन शारीरिक परिवर्तनों को समझना और मौसम के अनुसार दिनचर्या को थोड़ा एडजस्ट करना, डायबिटीज मैनेजमेंट को ज्यादा असरदार बना सकता है।
 
		