नई दिल्ली:– लोकसभा में “इनकम टैक्स (नंबर 2) बिल, 2025” को मंजूरी मिल गई है, जो वर्षों पुराने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 को पूरी तरह बदल देगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे ऐतिहासिक कर सुधार करार दिया और कहा कि यह नया कानून भारत की कर प्रणाली को अधिक सरल, पारदर्शी और आधुनिक बनाएगा।
बिल में शामिल हैं 285 सिफारिशें
वित्त मंत्री ने बताया कि बिल को प्रवर समिति की 285 सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है, जिसमें हितधारकों की प्रतिक्रियाएं और सुझावों को महत्व दिया गया। पहले इस बिल को 8 अगस्त को वापस लिया गया था और 11 अगस्त को संशोधन के साथ फिर से प्रस्तुत किया गया।
बिल के मुख्य प्रावधान – जानिए क्या बदलेगा?
रिफंड में लचीलापन: अब लेट रिटर्न भरने के बाद भी रिफंड क्लेम संभव।
अनुपालन अवधि घटाई गई: ITR दाखिल करने की अधिकतम समय सीमा 6 साल से घटाकर 2 साल।
अनावश्यक कानूनी प्रावधान हटाए गए, जिससे कानून को समझना आसान होगा।
सरल भाषा का उपयोग: जटिल कानूनी भाषा के स्थान पर अब आम बोलचाल के शब्दों का इस्तेमाल।
रहवासीय संपत्ति, पेंशन और रिफंड से जुड़ी अस्पष्टताओं को दूर किया गया।
डिजिटल भुगतान अनिवार्य: 50 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले प्रोफेशनल्स को अब डिजिटल मोड अपनाना होगा।
संचित आय नियम समाप्त: 15% निवेश की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है।
टैक्स एक्सपर्ट्स की राय
कर विशेषज्ञों का मानना है कि यह बिल MSME, व्यक्तिगत करदाताओं और कंपनियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। टैक्स सलाहकार एस.पी. सिंह ने कहा कि सरकार ने टैक्सपेयर्स की प्रतिक्रिया को गंभीरता से लिया है। यह नया कानून विवादों को कम करेगा और टैक्स प्रशासन में पारदर्शिता लाएगा।
इनकम टैक्स बिल 2025 का उद्देश्य
घरेलू खपत को बनाए रखना
विदेशी निवेश को आकर्षित करना
स्थिर और पारदर्शी टैक्स सिस्टम बनाना
डिजिटल टैक्स प्रशासन को बढ़ावा देना
नई टैक्स टर्मिनोलॉजी और बदलाव
Assessment Year की जगह अब “Tax Year” होगा
बिल के पेज घटाकर 823 से 622 किए गए
सेक्शन की संख्या बढ़कर 536, शेड्यूल बढ़कर 16
चैप्टर्स की संख्या 23 ही रखी गई
क्रिप्टोकरेंसी पर सख्त रुख
क्रिप्टो एसेट्स को अब “अघोषित आय” की श्रेणी में रखा गया है। इसे कैश, बुलियन और ज्वेलरी की तरह टैक्स कानून के दायरे में लाया गया है, जिससे डिजिटल लेनदेन को कानूनी रूप से नियंत्रित और पारदर्शी बनाया जा सके।
Taxpayers Charter की शुरुआत
नए बिल में Taxpayers’ Charter भी शामिल किया गया है, जो टैक्सपेयर्स के अधिकारों और टैक्स अधिकारियों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करता है। इसका उद्देश्य करदाताओं और टैक्स विभाग के बीच भरोसे का माहौल बनाना है।
सैलरी पर मिलने वाली छूट अब और आसान
सैलरी से जुड़ी कटौतियों जैसे स्टैंडर्ड डिडक्शन, ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट को एक ही सेक्शन में लाया गया है, जिससे समझना और लागू करना आसान होगा।
12 लाख तक की आय टैक्स फ्री
1 फरवरी 2025 को पेश बजट में सरकार ने 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट देने की घोषणा की थी। 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को मिलाकर नौकरीपेशा लोगों को 12.75 लाख रुपये तक टैक्स में राहत मिलेगी। यह बदलाव केवल नई टैक्स रिजीम में लागू होगा, जबकि पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है।