नई दिल्ली: करीब 9 महीने के अपने कार्यकाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई ऐसे दावे कर चुके हैं, जिनकी पुष्टि कभी हो नहीं पाई। अब उन्होंने दावा किया कि भारत, रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा और इसका भरोसा उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी ने दिया है। ट्रंप के इस दावे पर तुरंत स्पष्टीकरण की जरूरत थी और विदेश मंत्रालय ने ऐसा करके बिल्कुल सही किया।
भारतीय जरूरत
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की तेल आयात नीति पूरी तरह से भारतीय उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है। भारत की ऊर्जा नीति के दो मुख्य लक्ष्य हैं – स्थिर दाम और सुरक्षित सप्लाई।
दबाव की कोशिश
इस समय जब नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है, तब ट्रंप का बयान भारत को आजमाने की कोशिश ज्यादा दिखता है। वह भारत पर लगातार दबाव डाल रहे हैं कि रूस के साथ तेल खरीदारी रोक दी जाए। हालांकि सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि रूस के साथ व्यापारिक रिश्ता भारत की जरूरतों और हितों के अनुसार है।
भारत और चीन। ये दोनों ही देश क्रूड ऑयल को रिफाइन करके फिर बाकी दुनिया में उसकी सप्लाई करते हैं। 5% हिस्सेदारी के साथ भारत ऑयल रिफाइनिंग में चौथे स्थान पर है।
चीन के लिए मौका
ट्रंप की बात मानते हुए अगर भारत, रूस से तेल खरीदना बंद करता है, तो पूरी ऑयल सप्लाई चेन गड़बड़ा सकती है। अरब देशों के लिए रूसी तेल की कमी की भरपाई करना मुश्किल होगा। फिर कीमत का मसला भी फंसेगा। और यह भी हो सकता है कि भारत के हटने के बाद रूस से चीन ज्यादा तेल खरीदना शुरू कर दे, जो नई दिल्ली और वॉशिंगटन में से कोई भी नहीं चाहेगा। इसलिए इस मामले में भारत को अपने हितों से पीछे नहीं हटना चाहिए।