नई दिल्ली:– रामायण में प्रभु श्रीराम और माता कौशल्या के बीच एक संवाद है. जब श्रीराम वनवास पर जा रहे थे, तो माता कौशल्या विचलित हो गई थीं, तब प्रभु श्रीराम ने अपनी माता से कहा था- मेरी रगों में आपके दूध की शक्ति और साहस है जो विपत्तियों के समुद्र को पार करने की क्षमता देगा. जिस दूध का वर्णन रामायण में है, अब हम आपको उसी दूध से जुड़ी एक जरूरी खबर बताने जा रहे हैं.
इस खबर के केंद्र में है वो पैकेट वाला दूध, जो बड़े शहरों में रोजाना आपके और हमारे घरों में आता है. कई बार लोग पैकेट खोलकर दूध बर्तन में डालते हैं और उसे उबाल लेते हैं, लेकिन पैकेट वाले दूध को उबालना फायदेमंद है या फिर नुकसानदायक, आज हम आपको इस सवाल का जवाब देंगे. आप भी ध्यान से समझिए. पैकेट वाले दूध को उबालना चाहिए या नहीं? क्योंकि ये खबर आपकी सेहत से जुड़ी है.
पैकेट से सीधे निकालकर पी सकते हैं दूध
एक स्टडी में बताया गया है कि पैकेट वाले दूध को उबालने की जरूरत नहीं है, उसे सीधा पैकेट से निकालकर पिया जा सकता है. अगर किसी को गर्म दूध पीने की आदत है तो दूध को हल्का गर्म किया जा सकता है लेकिन अगर पैकेट वाले दूध को तेज आंच या तापमान पर उबाला जाएगा तो उसके अंदर मौजूद कुछ जरूरी पोषक तत्व खत्म या कम हो सकते हैं.
विशेषज्ञों की राय के बावजूद हो सकता है फिर भी आपके अंदर ये सवाल उठ रहा हो कि स्कूल में पढ़ाया गया है कि दूध के अंदर बैक्टीरिया होता है, तो पैकेट वाला दूध बैक्टीरिया रहित या सुरक्षित कैसे माना जाए? इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको वो प्रक्रिया समझनी होगी, जिससे पैकेट वाला दूध तैयार किया जाता है. आप चाहें तो इस जानकारी को नोट भी कर सकते हैं.
कैसे खत्म होता है दूध के अंदर का बैक्टीरिया?
पॉली पैकेट वाला दूध बेचने वाले ज्यादातर ब्रांड दूध का पाश्चराइजेशन करते हैं. यानी पैक करने से पहले दूध से बैक्टीरिया हटाए जाते हैं. इस प्रक्रिया में दूध को 71 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर 15 से 20 सेकेंड गर्म किया जाता है. इस तापमान की वजह से दूध के अंदर मौजूद बैक्टीरिया खत्म हो जाता है और दूध पीने के लिए सुरक्षित हो जाता है.
क्या होती है UHT?
एक्सपर्ट का कहना है कि इस प्रक्रिया से तैयार किए गए दूध को फ्रिज में रखना चाहिए और तीन से चार दिन के अंदर पी लेना चाहिए. पैकेट वाले दूध से बैक्टीरिया हटाने की एक और प्रक्रिया होती है. जिसे UHT कहा जाता है. UHT का मतलब है अल्ट्रा हाई टेंपरेचर, यानी इस दूध के शुद्धिकरण में ज्यादा तापमान का इस्तेमाल किया जाता है.
फ्रिज में रखना जरूरी है दूध
UHT प्रक्रिया से शुद्ध किया गया दूध अधिकतर टेट्रा पैक में आता है. इस प्रक्रिया में कच्चे दूध को 135 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है लेकिन ये तापमान सिर्फ दो से तीन सेकेंड तक रखा जाता है. जिसके बाद दूध की पैकिंग कर दी जाती है. इस दूध को 5 से 6 महीने तक पिया जा सकता है लेकिन एक बार पैकिंग खुल जाने के बाद दूध को फ्रिज में ही रखना चाहिए.
