नई दिल्ली:– वंदावन के मशहूर संत प्रेमानंद महाराज अक्सर ही परवरिश से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय देते रहते हैं। उनके द्वारा दी गई सलाह न केवल पेरेंट्स का मार्गदर्शन करती है, बल्कि उन्हें उनकी गलतियों का अहसास भी कराती है। साथ ही, यह भी बताती है कि परिस्थितियों को कैसे संभालना चाहिए। इसी क्रम में उन्होंने हाल ही में पेरेंटिंग से जुड़े एक अहम सवाल पर अपनी राय दी और वह सवाल था‘ क्या छोटे बच्चों के रोने पर मोबाइल देना सही है या नहीं?’संत का जवाब हर माता-पिता को सोचने पर मजबूर कर देगा। आइए जानते हैं, महाराज ने इस पर क्या कहा, विस्तार से।
इंस्टाग्राम वीडियो में एक शख्स ने प्रेमानंद महाराज से कहा कि ‘महाराज जी, मेरी डेढ़ साल की बेटी है। सिंगल फैमिली में रहते हैं, जब मैं ड्यूटी पर जाता हूं तो फिर पत्नी को उसे संभालने में परेशानी होती है। इसलिए, हम उसे मोबाइल दे देते हैं।
शख्स की यह बात सुनने के बाद प्रेमानंद महाराज जवाब देते हैं ‘35 साल पहले क्या था? क्या उस समय बच्चे नहीं हुआ करते थे?’तो वह पुरुष जवाब देता है ‘पहले ज्वाइंट फैमिली हुआ करती थी।’ यह सुनकर संत फिर कहते हैं नहीं, ऐसा नहीं है कि 35 साल पहले सब ज्वाइंट फैमिली में ही रहा करते थे।
महाराज आगे कहते हैं ‘लोग देश-विदेश भी जाते थे और काम भी करते थे। ऐसा बिलकुल नहीं है कि कार्य का विकास सिर्फ पिछले 35 सालों में ही हुआ है। पहले दाई मां रखी जाती थी, जो बच्चे का ध्यान रखती थी, उसकी सुरक्षा करती थी और उसकी सेवा करती थी। फिर लोग अपनी-अपनी ड्यूटी से लौटकर बच्चे के साथ प्यार भरा व्यवहार करते थे। इसी तरह चीजें चलती थीं।
संत कहते हैं छोटे-छोटे बच्चों को मोबाइल देना ठीक नहीं है। मोबाइल फोन उनके संस्कार बिगाड़ देते हैं। अब सोचिए, कौन सा बच्चा ऐसा है जो सुबह उठकर माता-पिता के पैर छूता है या धरती मां के चरण स्पर्श करता है? कौन भगवान का स्मरण करता है?