नई दिल्ली:–* शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि तुलसी महारानी की सेवा करने से श्री कृष्ण जल्द प्रसन्न होते हैं। तुलसी जी वृंदावन की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। तुलसी जी भगवान श्री कृष्ण की प्रिय सखी वृंदा सखी मानी जाती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति तुलसी जी की सेवा करता है, उसका जीवन परम सौभाग्य, महापुण्य और भगवान की कृपा से परिपूर्ण हो जाता है। तुलसी जी का स्पर्श, नाम कीर्तन, प्रणाम, जल अर्पण, वृक्ष लगाना और उनके पत्तों से नित्य सेवा करने से श्री कृष्ण बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। अधिकतर लोगों को मानना है कि एकादशी के दिन तुलसी पर न ही जल चढ़ाना चाहिए और न ही तोड़ना चाहिए। इस बात को लेकर प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो है जिसमें वह बता रहे हैं कि एकादशी को तुलसी में जल चढ़ाना शुभ है कि अशुभ….
एकादशी के दिन तुलसी में जल चढ़ाने की क्यों है मनाही?
तुलसी जी में लक्ष्मी जी का वास होता है। ऐसे में एकादशी के दिन वह निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसे में इस दिन जल चढ़ाने से उनका व्रत खंडित हो जाता है।
क्या एकादशी के दिन जल चढ़ा सकते हैं?
प्रेमानंद महाराज एक वीडियो में कह रहे हैं कि एकादशी के दिन जल चढ़ाने के अलावा तुलसी तोड़ सकते हैं। लेकिन द्वादशी के दिन जल चढ़ाने के अलावा इसे तोड़ने की मनाही होती है। द्वादशी के दिन तुलसी जी का स्पर्श नहीं करना चाहिए।
शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि द्वादशी तिथि को तुलसी के पत्तों या मंजरी को नहीं तोड़ना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना ब्रह्महत्या के समान पाप माना जाता है। तुलसी जी का जल, स्पर्श और पूजा भी अत्यंत फलदायी मानी गई है। तुलसी काष्ठ से निर्मित चंदन का लेप करने से संचित पाप नष्ट हो जाते हैं और साधक को भगवान की निकटता मिलती है। तुलसी जी की छाया में पितरों को तृप्ति मिलती है।
तुलसी जी की सेवा करने से मिलता है ये लाभ
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, प्रतिदिन तुलसी जी की सेवा करने से लाखों युगों तक पुण्य प्राप्त होता है। तुलसी जी को जल चढ़ाने, माला पहनाना, परिक्रमा करना, तिलक करना आदि सेवा से मनुष्य को भगवान की नित्य समानता प्राप्त होती है। जिनके घर में तुलसी का पौधा होता है, वे तीर्थों की आवश्यकता से वंचित नहीं रहते। यमराज भी ऐसे घरों में नहीं आते। तुलसी जी की सेवा से पितरों को कल्याण, संचित पापों का नाश, और जीवन में सुख, समृद्धि तथा आध्यात्मिक उन्नति होती है।
तुलसी जी के समीप बैठकर भागवत, गोपाल सहस्रनाम आदि पाठ करना बहुत शुभ माना गया है। तुलसी की माला से नाम जप करने से आध्यात्मिक सिद्धि शीघ्र होती है। कहा गया है कि चाहे स्मृति की दृष्टि से कोई अन्य साधन अपनाए, फिर भी तुलसी की माला से नाम जप करना विशेष प्रभावशाली है।