धार्मिक वस्तुए:- अनुष्ठानों में कपूर के पौधे का बहुत अधिक महत्व होता हैं। जहाँ-जहाँ कोई अनुष्ठान होता है यज्ञ हवन पूजा होती है ऐसी जगहों पर कपूर का उपयोग बहुत ही मात्रा में भारत और इसके अलावा कई देशों में किया जाता है और इसीलिए कपूर की मांग दिन-व-दिन बढ़ती जा रही है कपूर के पौधे को ओषधि पौधों के रूप में भी उगा सकते हैं।
कपूर के पौधे को पर्यावरण को सुधारने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह हवा को शुद्ध करता है करता है और अध्यात्मिक वातावरण उत्पन्न करता हैं।
यदि आप अपने घर में कपूर का पौधा लगाते हैं तो कपूर के पौधे की महक और खूशबू बहुत ही मनमोहक होती हैं। इसे घर में लगाने से घर में साप और कीड़े नहीं आते हैं
- कपूर के पौधे को गमले में उगाने के लिए इसमें गार्डन साइल, सरसो खली, वर्मी कम्पोस्ट, गोबर खाद, नीम खली, बालू रेत लेकर अच्छे से मिक्स करके गमले में डालकर कपूर का पौधा लगाकर अच्छे से पानी दें। और धुप वाली जगह में रख दें।
- यदि जमीन में आप पौधा लगा रहे हैं तो जमीन में आप डायरेक्ट सनलाइट में लगाएं उसकी जड़ें पर यहां पर फैलेंगी इसको मिटटी मिलेगी और वह तेजी से ग्रो करेगा।
- कपूर को बनाने की एक प्रोसेस होती है। कपूर का पेड़ कम से कम 50 से 100 फीट तक जाता है और तब वह मैच्योर प्लांट होता है। तब इन पेड़ों की टहनियों को काट के इसके गठिया बड़े-बड़े निकाल लिए जाते हैं और इन गाठो से छोटे-छोटे टिप्स किए जाते हैं
- लकड़ियों को मशीनों के माध्यम से और उसको भाप में पकाया जाता है डिस्टिलेशन पद्धति द्वारा और उस भाग को पानी में ठंडा करके उसका एक ऑयल निकलता है और वह जो ऑयल ठंडा होता है तो वह क्रिस्टल के रूप में बन जाता है। जिसे बाहर निकाल कर सूखा लिया जाता हैं।
- उसके बाद में उस पाउडर से छोटी-छोटी गोलियों के माध्यम से मशीनों के माध्यम से छोटी-छोटी गोलियों का आकार दिया जाता है