सेल्फ ड्राइविंग कार एक ऐसी तकनीक है जो भविष्य में भारत की तस्वीर बदल सकती है. सेल्फ ड्राइविंग कार को बिना किसी इंसान की मदद के सड़क पर चलाने के लिए डिजाइन किया गया है. ये कार कंप्यूटर, सेंसर और कैमरों की मदद से परिस्थितियों को समझने और नेविगेट करने में सक्षम होती हैं.कार में लोगों को यात्रियों की तरह बैठे रहना होता है, किसी को भी ड्राइविंग करने जरूरत नहीं होती. ऑटोमेटेड ड्राइविंग सिस्टम (एडीएस) खुद ही ड्राइविंग करता है लेकिन ये भारत के लिए महज अभी सपना ही है.टेस्ला और अन्य कुछ कंपनियां सेल्फ ड्राइविंग कारों को बनाकर बेचने में सफल रही हैं. भारत में ऐसी फ्यूचरिस्टिक कारें अभी सेल के लिए उपलब्ध नहीं है.
भारत में सेल्फ ड्राइविंग कारों को आने में कई चुनौतियों और उनके समाधान का सामना करना होगा.कैसे खुद ही चलती हैं ये कारेंसेल्फ ड्राइविंग कारों में ADAS टेक्नोलॉजी होती है. इसमें प्वाइंट A से प्वाइंट B तक जाने की लोकेशन सेट कर दी जाती है. इसके बाद ऑटोमेटेड ड्राइविंग सिस्टम खुद ही हर तरह की परिस्थिति में ड्राइविंग करता है.ये सिस्टम ही कैमरे, सेंसर रडार, जीपीएस, सॉफ्टवेयर की मदद से रास्ते की स्थिति का अंदाजा लगाकर कार को सेफ्टी से सड़क पर चलने की अनुमति देता है. इसके अलावा इमरजेंसी ब्रेक लगाना, कार पार्क करना जैसे काम भी स्वत: करता है.रडार एक सेंसर है जो नजदीक की चीजों का पता लगाने में सक्षम होता है, जबकि LiDAR प्रकाश तरंगों (Light Waves) की मदद से दूर की चीजों का बड़ी सटीकता से पता लगा लेता है.
यह कोहरे में भी अलर्ट हो जाता है, जबकि रडार नहीं होता. ये ट्रैफिक लाइट्स, रोड सिग्नल्स और पैदल चलने वाले लोगों को ट्रैक करने के लिए वीडियो कैमरे का इस्तेमाल करता है.भारत में ये सपना साकार होना अभी दूर की कौड़ीभारत में सेल्फ ड्राइविंग कारों को लाने के लिए अभी एक लंबा रास्ता तय करना होगा. इस सपने को हकीकत में बदलने का सफर भारत में चुनौतीपूर्ण है. सेल्फ ड्राइविंग कारों में अभी और इंप्रूवमेंट की आवश्यकता होगी.इन कारों को भारत में अलग-अलग परिस्थितियों में सुरक्षित रूप से चलाने में सक्षम होने के लिए कंप्यूटर और सेंसर टेक्नोलॉजी में सुधार की आवश्यकता है.
सरकार को खास यातायात नियम बनाने होंगे ताकि सेल्फ ड्राइविंग कारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.कोहरे में कैसे काम करती है सेल्फ ड्राइविंग कार: इसे भारत में आने में कितना वक्त लगेगा?भारत में कई लोगों को सेल्फ ड्राइविंग कारों पर विश्वास नहीं है. उन्हें डर है कि ये कारें सुरक्षित नहीं होंगी या वे भारत की सड़कों पर चलने के लिए सक्षम नहीं होंगी. अगर भारत इन चुनौतियों को दूर करने में सफल होता है, तो सेल्फ ड्राइविंग कारें परिवहन क्षेत्र में क्रांति ला सकती हैं.ये कारें पोल्यूशन कम करने और लोगों के लिए यात्रा को ज्यादा आरामदायक व सुविधाजनक बनाने में मदद कर सकती हैं.सेल्फ ड्राइविंग कारों पर दुनियाभर में बहससेल्फ ड्राइविंग कारें दुनियाभर में बहस का केंद्र बनी हुई हैं.
इस नई तकनीक के पीछे ऐसे कई पहलु हैं जिन पर लोग चर्चा करते हैं और फिर बहस का कारण बन जाती है.जब भी चर्चा होती है तो एक सवाल लोग अक्सर पूछते हैं कि अगर सेल्फ ड्राइविंग कार के सामने एक बच्चा और बूढ़ा आ जाए और किसी एक की जान लेनी पड़े तब ये कार क्या करेगी.नॉर्मल कार से एक्सीडेंड होने पर आमतौर पर ड्राइवर को ही जिम्मेदार माना जाता है, मगर बिना ड्राइवर वाली कार से दुर्घटना होने की स्थिति में कौन जिम्मेदार होगा? अगर सेल्फ ड्राइविंग मोड में कार के सामने आ जाने से किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो किसे जेल भेजा जाएगा?क्या कार का मालिक जिम्मेदार होगा या उसे बनाने वाली कंपनी जिम्मेदारी लेगी?
ऐसे तमाम सवालों पर अक्सर बहस छिड़ जाती है.सेल्फ ड्राइविंग कार कहां कहां उपलब्धइन सब बहस के बीच कुछ देशों ने सेल्फ ड्राइविंग कारों को इजाजत दे दी है. दुनिया में सबसे पहले संयुक्त अरब अमीरात ने सेल्फ ड्राइविंग कार चलाने और बेचने की इजाजत दी. यूएई ने चीन की WeRide को हाल ही में अपने देशों की सड़कों पर रोबोटैक्सिस और अन्य कारों को चलाने का लाइसेंस दिया.
कोहरे में कैसे काम करती है सेल्फ ड्राइविंग कार: इसे भारत में आने में कितना वक्त लगेगा?यूएई सात अमीरातों का एक संघ है जिसमें दुबई और अबू धाबी शामिल है. इसके अलावा अमेरिका के कुछ शहर सैन फ्रांसिस्को, ऑस्टिन और फीनिक्स में भी इन कारें सफलतापूर्वक चल रही हैं.क्या भारत में सेल्फ ड्राइविंग कार लीगल है?भारत में सेल्फ ड्राइविंग कारों के लिए अभी तक कोई स्पष्ट कानून नहीं है. सरकार को इस तकनीक के भारत में इस्तेमाल और व्यावसायिक उपयोग को नियंत्रित करने के लिए कानून और नियम बनाने की आवश्यकता है. हालांकि अभी ऐसा कोई कानून बनना मुश्किल लग रहा है.
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भारत में ड्राइवर लैस कारों को अनुमति देने से साफ इनकार कर चुके हैं.’मैं ड्राइवर लैस कार को भारत में आने नहीं दूंगा’केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हाल ही में IIM नागपुर के कार्यक्रम में पहुंचे थे. यहां इसपर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने ड्राइवर लैस कारों की इजाजत देने से मना कर दिया. साथ टेस्ला की गाड़ियों के खिलाफ भी कड़ा रूख अपनाया.नितिन गडकरी ने कहा, “मैं इसका विरोध करता हूं. मैंने अमेरिका में ही जाहिर किया था कि ड्राइवर लैस कार को भारत में आने नहीं दूंगा. इसका कारण हमारे देश में ड्राइवर के रूप में बहुत बड़ा रोजगार है. अगर ड्राइवर लैस कार आ जाएंगी तो लोगों की नौकरियां चली जाएंगी. जहां कम जनसंख्या है वहां ये ठीक है, मगर हमारे देश के लिए नहीं.
ड्राइवर लैस कार आने से 70-80 लाख लोगों की नौकरियां चली जाएंगी तो देश में नई समस्या आ जाएगी.”टेस्ला कारों की भारतीय बाजार में एंट्री के बारे में पूछे जाने पर नितिन गडकरी ने कहा, “टेस्ला के आने से कोई समस्या नहीं है हम उनका स्वागत करते हैं, मगर चीन में कारों को बनाकर उन्हें भारत में बेचना और टैक्स रियायत की उम्मीद करना संभव नहीं है. इसके बजाय भारत में आकर कारें बनाए और यहां बेचें तो हमें कोई समस्या नहीं है.”भारत में पहली सेल्फ ड्राइविंग कारकोहरे में कैसे काम करती है सेल्फ ड्राइविंग कार: इसे भारत में आने में कितना वक्त लगेगा?भारत में सेल्फ ड्राइविंग कारों का सपना अभी काफी दूर है लेकिन बेंगलुरू स्थित स्टार्टअप कंपनी माइनस जीरो (Minus Zero) ने हाल ही में सेल्फ ड्राइविंग कार पेश कर सभी को चौंका दिया था.कंपनी ने दावा किया है कि उनकी जेडपोड (zPod) ऑटोनॉमस कार देश की पहली सेल्फ ड्राइविंग कार है. ये कार कैमरा-सेंसर की मदद से हर परिस्थिति और मौसम में खुद ही ड्राइव करती है.
सबसे खास बात ये है कि इसमें स्टीयरिंग व्हील नहीं है.कंपनी ने बताया कि ये अद्भुत सेल्फ ड्राइविंग कार सेंसर की बजाय कैमरा तकनीक पर काम करती है. इसमें हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे लगे हैं जो ट्रैफिक और रोड की परिस्थितियों का विश्लेषण करते हैं.इसमें एम्बेडेड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिस्टम सड़क पर आने वाली रुकावटों से बचने, वाहन को दिशा दिखाने और उसकी स्पीड को कंट्रोल करने में मदद करता है.