*नई दिल्ली:-* चलना केवल एक एक्टिविटी नहीं है बल्कि एक्सरसाइज है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि हमें रोजाना चलने की आदत डालनी चाहिए। इससे दिल, दिमाग, किडनी, लिवर आदि का फंक्शन बढ़ता है। मगर पिछले कुछ समय से रेट्रो वॉकिंग की काफी चर्चा हो रही है। विशेषज्ञों को मानना है कि सिर्फ 10 से 20 मिनट की रेट्रो वॉकिंग से अनगिनत फायदे प्राप्त किए जा सकते हैं। आइए जानते हैं कि रेट्रो वॉकिंग का मतलब क्या है।*रेट्रो वॉकिंग का मतलब*रेट्रो वॉकिंग एक एक्सरसाइज है। इस टर्म को बैकवार्ड वॉकिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह आपकी मसल्स और माइंड बॉडी कनेक्शन के लिए काफी अच्छी होती है। इसमें आपको सीधा खड़े होकर पीछे की तरफ चलना पड़ता है। आइए इसके फायदों के बारे में जानते हैं।*माइंड बॉडी कनेक्शन में बढ़ोतरी*हम रोजाना चलते हैं और हमारे पैर, मसल्स व दिमाग को इसकी आदत हो चुकी है। इसे करते हुए हमारा दिमाग पूरी तरह काम नहीं करता है बल्कि हल्का सा सिग्नल मिलते ही मसल्स की याददाश्त काम करने लगती है। इससे माइंड टू बॉडी का कनेक्शन ढीला हो गया है। जब हम उल्टा चलते हैं जिसकी आदत नहीं है तो दिमाग को मसल्स को ढंग से सिग्नल देने पड़ते हैं। इससे दोनों के बीच का कनेक्शन मजबूत होता है।*ऑस्टियोआर्थराइटिस में राहत*उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों का स्वास्थ्य कमजोर हो जाता है जिसे ऑस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं। इसमें जोड़ों के अंदर अकड़न व सूजन आ जाती है जिससे चलने या उठते-बैठते वक्त दर्द होने लगता है। एक शोध के मुताबिक रेट्रो वॉकिंग से इनका प्रेशर कम होने लगता है और अकड़न दूर होती है।*वेट लॉस में मददगार*सामान्य चलने के मुकाबले पीछे की तरफ चलने में ज्यादा मेहनत लगती है। इसकी वजह से आपकी बर्न होने वाली कैलोरी की मात्रा भी बढ़ जाती है। यह वजन कम करने में नॉर्मल वॉकिंग से ज्यादा बेहतर है और जल्दी असर दिखा सकती है।*मेंटल हेल्थ को फायदा*रेट्रो वॉकिंग करने से बॉडी अवेयरनेस बढ़ती है। स्लीप साइकिल सुधर जाती है और आपके सोचने, सीखने व याद करने की क्षमता में बढ़ोतरी दिखती है। अगर आप तनाव या एंग्जायटी के शिकार हैं तो इसे जरूर अपनाकर देखें।*वक्त के साथ ऐसे बनाएं असरदार*जब आप रेट्रो वॉकिंग करना सीख जाएं तो इसमें थोड़ा बदलाव लेकर आएं। क्योंकि रिजल्ट बढ़ाने के लिए आपको रोजाना खुद को कंफर्ट जोन से बाहर निकालना होता है। धीरे-धीरे पीछे की तरफ तेज चलने और फिर जॉगिंग करने की कोशिश करते रहें।