*राजस्थान:-* राजस्थान की कोटा-बूंदी लोकसभा सीट प्रदेश की सबसे प्रमुख सीट हो गई है. इस हॉट सीट पर लोकसभा अध्यक्ष की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, तो दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी दो बार हारने के बाद जीत की कोशिश में लगे हुए हैं. ऐसे में यह चुनाव बेहद ही रोचक हो गया है. यहां बीजेपी के दिग्गज स्टार प्रचारकों ने पूरी ताकत झोंक दी है और इस सीट को प्रतिष्ठा मान बैठे हैं. अमित शाह से लेकर सीएम भजनलाल शर्मा और दोनों डिप्टी सीएम के साथ ही कई दिग्गज मंत्री लगातार यहां दौरा कर रहे हैं. कोटा-बूंदी लोकसभा सीट पर कई ऐसी जातियां हैं, जो जीत हार तय करती हैं या जीत का रास्ता यहां से होकर निकलता है. इनमें मुख्य रूप से मुस्लिम, मीणा, गुर्जर, वैश्य, राजपूत, ब्राह्मण, एससी और अन्य जातियां हैं. ऐसे में यदि गुर्जर और मीणा वोटों में बीजेपी सेंध नहीं लगा सकी, तो उसके लिए इस सीट पर जीत मुश्किल हो सकती है. हालांकि, यदि विधानसभा की बात करें तो बीजेपी जिन विधानसभा सीटों पर जीती है वहां बीजेपी की जीत का अंतर अधिक रहा है.कोटा बूंदी सीट पर 20.88 लाख मतदाता आठ विधानसभा वाली कोटा बूंदी लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 20.88 लाख है. इनमें पुरुष मतदाता 10.73 और महिला मतदाता 10.15 हैं, जबकि थर्ड जेंडर मतदाता 38 वोटर हैं. जातिगत आंकड़ा देखे तो यहां पर मुस्लिम मतदाता की संख्या करीब 2.70 लाख है. इसके बाद मीणा मतदाता 2.25 लाख और ब्राह्मण 2.05 लाख हैं. गुर्जर मतदाता भी इस सीट पर 1.90 लाख के आसपास हैं. ऐसे में अभी तक गुर्जर मतदाताओं को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता रहा है. गुर्जर मतदाताओं की संख्या लाडपुरा, केशोरायपाटन, बूंदी और रामगंजमंडी विधानसभा में अधिक है. इन जातियों का यहां वर्चस्व है और इस बार दोनों ही पार्टियां जातिगत वोटों को साधने के लिए जातिगत जनप्रतिनिधियों का भी सहारा ले रही हैं.ओबीसी वर्ग के 5.80 लाख वोटर्स कोटा बूंदी लोकसभा सीट पर सबसे अधिक वोटर्स ओबीसी वर्ग से आते हैं और यहां उनकी संख्या 5.80 लाख हैं, जिनमें सबसे बड़ा तबका गुर्जर वर्ग का 1.9 लाख है. इसके बाद माली 1.20 लाख और फिर 1.05 लाख धाकड़ मतदाता हैं. इसके अलावा कुम्हार, बंजारा, नाई, बैरागी, कश्यप, तेली, खाती, कुशवाहा, अहीर, यादव और जाट, सहित कई जातियां हैं. दूसरे नंबर पर जनरल मतदाता 5.10 लाख हैं. इनमें 2.05 लाख ब्राह्मण मतदाता है. फिर वैश्य 1.15 लाख और राजपूत 1.10 लाख हैं. शेष में सिंधी, पंजाबी, कायस्थ और ईसाई है. माना जा रहा है कि इस बार गुर्जर, मीणा, मुस्लिम, वैश्य, ब्राह्मण, राजपूत और एससीएसटी जातियां बड़ा किरदार निभा रही हैं.